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फूलों से सजे मंच पर
फूलों से लदे नेता
अपनी गर्दन इधर उधर हिला रहे थे
हाथ जोड़कर भीड़ को अभिवादन जता रहे थे
चापलूसी में व्यस्त चमचे
प्रशंसा में कशीदे कढ़े जा रहे थे
मंच पर खडे नेताओं को ;
शेर बता रहे थे
ये नजारा देखकर मैं चकराया
अपने होंठों को हिलाया
भैये ये क्या गजब ढा रहे हो
सभ्य समाज में जंगल गीत गा रहे हो
अच्छे भले आदमियों को शेर बता रहे हो
तभी एक चमचा हमारे पास आया
हमें हिंदी व्याकरण समझाया
उसने बताया शेर वीरता का प्रतीक है
हिंदी साहित्य में उपमा देने की रीत है
धीर- वीर नेताओं का सम्मान हो रहा है
वीरता के कारण शेर नाम से गुणगान हो रहा है
मेरे होंठों ने फिर मौन खोला
मैं फिर बोला
भैये शेर , हांथी गेंडो भैंसों से पंगा नहीं ले पाता है
छुपकर घात लगाता है
अपनी कमजोर प्रजा को निवाला बनाता है
नेता भी अपने बाप के आगे सर झुकाता है
कमजोर गरीब बेसहारा
आम जनता का खून पी जाता है
क्या नेता इसीलिए शेर कहलाता है
जनता की ताकत नेता को बहादुर बनाती है
जनता बिमुख हो तो नेता की हवा निकल जाती है
व्याकर्नाचार्यों से व्याकरण की सीख ले
मैंने भी उपमा का उपयोग अपनाया
नेताओं को
बफादारी की नसीहत देने
कुत्ता शब्द प्रयोग आजमाया
ये बात चमचों को खल गयी
हवा की दिशा ही बदल गयी
सर पर पैर रखकर जान
बचा ली
अब जान बची तो लाखों पाए
पर राज- नीति
की महिमा न समझ पाए
जिसने हर नियम कानून को;
अपने हिसाब से तोडा मरोड़ा है
उसने अब मात्र- भाषा को भी नहीं छोड़ा है
कभी शेर, शेर नहीं; बीरता हो जाता है
कभी कुत्ता शब्द बफादारी का
नहीं
सिर्फ कुत्ते का प्रतीक बन जाता है
कुत्ते को शेर कहो तो ;
गर्व से सीना फुलाता है
कुत्ते को कुत्ता कह दो तो
गुर्राता है
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फूलों से सजे मंच पर
फूलों से लदे नेता
अपनी गर्दन इधर उधर हिला रहे थे
हाथ जोड़कर भीड़ को अभिवादन जता रहे थे
चापलूसी में व्यस्त चमचे
प्रशंसा में कशीदे कढ़े जा रहे थे
मंच पर खडे नेताओं को ;
शेर बता रहे थे
ये नजारा देखकर मैं चकराया
अपने होंठों को हिलाया
भैये ये क्या गजब ढा रहे हो
सभ्य समाज में जंगल गीत गा रहे हो
अच्छे भले आदमियों को शेर बता रहे हो
तभी एक चमचा हमारे पास आया
हमें हिंदी व्याकरण समझाया
उसने बताया शेर वीरता का प्रतीक है
हिंदी साहित्य में उपमा देने की रीत है
धीर- वीर नेताओं का सम्मान हो रहा है
वीरता के कारण शेर नाम से गुणगान हो रहा है
मेरे होंठों ने फिर मौन खोला
मैं फिर बोला
भैये शेर , हांथी गेंडो भैंसों से पंगा नहीं ले पाता है
छुपकर घात लगाता है
अपनी कमजोर प्रजा को निवाला बनाता है
नेता भी अपने बाप के आगे सर झुकाता है
कमजोर गरीब बेसहारा
आम जनता का खून पी जाता है
क्या नेता इसीलिए शेर कहलाता है
जनता की ताकत नेता को बहादुर बनाती है
जनता बिमुख हो तो नेता की हवा निकल जाती है
व्याकर्नाचार्यों से व्याकरण की सीख ले
मैंने भी उपमा का उपयोग अपनाया
नेताओं को बफादारी की नसीहत देने
कुत्ता शब्द प्रयोग आजमाया
ये बात चमचों को खल गयी
हवा की दिशा ही बदल गयी
सर पर पैर रखकर जान बचा ली
अब जान बची तो लाखों पाए
पर राज- नीति की महिमा न समझ पाए
जिसने हर नियम कानून को;
अपने हिसाब से तोडा मरोड़ा है
उसने अब मात्र- भाषा को भी नहीं छोड़ा है
कभी शेर, शेर नहीं; बीरता हो जाता है
कभी कुत्ता शब्द बफादारी का नहीं
सिर्फ कुत्ते का प्रतीक बन जाता है
कुत्ते को शेर कहो तो ;
गर्व से सीना फुलाता है
कुत्ते को कुत्ता कह दो तो
गुर्राता है 1
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान,गोंडा,उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801