Tuesday 22 October 2013

(BP15) बड़ी बातें मियां छोड़ों

बड़ी बातें मियां छोड़ों 

हमारा दिल न यूं तोड़ों

न हिन्दू है न वो मुस्लिम

वो हिंदी है उसे जोड़ो 

छलकती हैं जहाँ आँखें

मुझे रिन्दों वहां छोड़ों 

लगें दिलकश जो  शाखों पे 

हसीं गुल वो नहीं तोड़ों 

मिलेगी वक़्त पर कुर्सी 

नहीं सर बेबजह फोड़ो 


लुटी कलियाँ चमन की हैं 

दरिंदों को नहीं छोड़ों 

बचा कुर्सी वतन बेंचा 

शरारत ये जरा छोड़ों 

जहर है अब हवाओं में 

हवा का आज रुख मोड़ों 

डॉ आशुतोष मिश्र 
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी बभनान, गोंडा उ प्र 

Friday 4 October 2013

(BP17) एक दिन मुझको रुलाओगे था मालूम मुझे

यूं मुझे भूल न पाओगे था मालूम मुझे
दिल में लोबान जलाओगे था मालूम मुझे
अपने अश्कों से भिगो बैठोगे मेरा दामन 
एक दिन मुझको रुलाओगे था मालूम मुझे

मैंने सीने से लगा रक्खा है तेरा हर ख़त
ख़त मगर मेरा जलाओगे था मालूम मुझे 

यूं तो वादा भी किया, तुमने कसम भी खाई.
गैर का घर ही बसाओगे था मालूम मुझे
सारे इलज़ाम ले बैठा तो हूँ मैं अपने सर
मिलने पर नजरें चुराओगे था मालूम मुझे 

डॉ आशुतोष मिश्र 
आचार्य नरेन्द्र देव कालेज आफ फार्मसी , बभनान, गोंडा उ प्र 

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