बड़ी बातें मियां छोड़ों
हमारा दिल न यूं तोड़ों
न हिन्दू है न वो मुस्लिम
वो हिंदी है उसे जोड़ो
छलकती हैं जहाँ आँखें
मुझे रिन्दों वहां छोड़ों
लगें दिलकश जो शाखों पे
हसीं गुल वो नहीं तोड़ों
मिलेगी वक़्त पर कुर्सी
नहीं सर बेबजह फोड़ो
नहीं सर बेबजह फोड़ो
लुटी कलियाँ चमन की हैं
दरिंदों को नहीं छोड़ों
बचा कुर्सी वतन बेंचा
शरारत ये जरा छोड़ों
जहर है अब हवाओं में
हवा का आज रुख मोड़ों
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी बभनान, गोंडा उ प्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी बभनान, गोंडा उ प्र