राम का स्वागत करो
अब आ गयी देखो दिवाली
अब सजा लो थाल पूजा के
अब सजा लो द्वार बन्दनवार से
अब जलाओ दीप कर दो रौशनी चारों तरफ
हो तिमिर का नाम न निशान भी
ज्ञान के दीपक जलाओ
प्रेम हृदयों में जगाओ
टूटते मन दूर नित हो हो रहे हैं
प्रेम का मरहम लगाकर जोड़ दो
राम का ......................
गीत बदलो -राग बदलो
वो पुराने ताल बदलो
रूढ़ियाँ जो दस रही हैं
आज काले नाग सी
बिच्क्षुओं के डंक वाले;
रीत और रिवाज बदलो
एक मालिक है सभी का
राम -अल्लाह एक हैं
मत लड़ो ले नाम इनका
खोखली बुनियाद वाले
अपने हर अंदाज बदलो
राम का ..............
झोपड़ों में जी रहा है जो
अश्क अपने पी रहा है जो
बेदना से त्रस्त है
अपनों के भय से ग्रस्त है
चीथड़ों में ढंके उस इंसान की
जिंदगी को एक नया आयाम दे दो
लाश जिन्दा हैं-हुआ शोषण तुम्हारे हाथ जिनका
मांस के उन लोथड़ों को
आज थोड़ी जान दे दो
आग में जलते रहे अपमान की
पैर की जूती ही बनकर रह गए हैं
उन सिसकते बचपनो को
माँ का आँचल मिल सके
वरदान दे दो
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान,गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801