Friday 27 March 2020

(OB 124) बोतल में जब तलक थी मै महफ़िल सजी रही

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 जब तक भरे थे जाम तो महफ़िल सजी रही
फूलों में रस था भँवरों की चाहत बनी रही

वो सूखा फूल फेंकते तो कैसे फेंकते
उसमे किसी की याद की खुशबू बसी रही

उस कोयले की खान में कपड़ें न बच सके
बस था सुकून इतना ही इज्जत बची रही

कुर्सी पे बैठ अम्न की करता था बात जो
उसकी हथेली खून से यारों सनी रही

दौलत बटोर जितनी भी लेकिन ये याद रख
ये बेबफा न साथ किसी के कभी रही

'आशू' फ़कीर बन तू फकीरीं में है मजा
सब छूटा कुछ बचा तो वो नेकी बदी रही

डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी बभनान गोंडा उत्तरप्रदेश 271313
9839167801
www.ashutoshmishrasagar.blogspot.in

Thursday 26 March 2020

(OB 127) इक्कीस दिन की कैद में कैसे समय बिताय

अपने अपने घरों की जेल में कैद (नजरबन्द) सभी क्रांतिकारियों का नमन। 

पंख कटे पंछी हुए ,सीमित हुयी उड़ान
सर पे अम्बर था जहाँ, छत है गगन समान

सारी दुनिया सिमट कर कमरे में है कैद
घर के बाहर है पुलिस, खड़ी हुई मुश्तैद

जिनकी  शादी  ना हुयी , उनकी मानो खैर
और हुयी जिनकी न लें, घर वाली से बैर

घर के कामो में लगें, हर विपदा लें टाल
साँप छुछूंदर गति न हो, करफ्यू या भूचाल

भागवान से लड़ नहीं, बात ये मेरी मान
भागवान के केस में, चुप रहते भगवान

प्रथम दिवस आखिर कटा, साँसों में थे प्रान
मगर रात धरती लगी, जैसे हो श्मशान

लक्ष्मण रेखा खिंच गयी,घर में रखना पाँव
आस्तीन के सांप सा, कोरोना का दाँव

राशन लेने जब गये, मन मन ही घबराय
ना जाने किस भेष में, कोरोना मिल जाय

अस्ल गधे तो छिप गए, नकली करें धमाल
चौराहे पर अब जिन्हें, पुलिश कर रही लाल

हाथ जोड़ सेवक करे, सबसे ही फरियाद
लेकिन सारी योजना , चंद करें बरबाद

हँसी ठिठोली हो चुकी,सुनो काम की बात
उल्टी गिनती है शुरू, चूके समझो मात

हिन्दू मुस्लिम सोच है, सत्य महज इंसान
कोरोना ये ज्ञान दे, हर के सबके प्रान

खड़े दूर थे पंक्ति में, हिन्द वतन के लोग
अनुशासन का पाठ भी सिखा रहा ये रोग

"आशू" हल्के में न ले, बिपदा ये गंभीर
छूट गया जो चाप से, कब लौटा वो तीर

डॉ आशुतोष मिश्र "आशू"
आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज ऑफ फार्मेसी।
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
9839167801
www.ashutoshmishrasagar.blogspot.in



Saturday 21 March 2020

(OB 126}) कोरोना का कोरोना (का रोना)



कोरोना का कोरोना(का रोना)
कोरोना का कुछ कोरोना (करो ना)

जितना हो सकता हो दूरियां बनाइये
मुख से न कहके बात नयन से जताइये

घबराइये न दिल को दिलासा दिलाइये
विपदा की घड़ी में भी बस  मुस्कुराइये

जीभर  के बात अपनी सबको सुनाइये
बस थोड़ा और अपने मुँह को घुमाइये

घर जो आये हाथ  सोप से धुलाइये
पी के नींबू नींद भी गहरी लगाइये

बस प्राणायाम योग  ध्यान आजमाइये
प्रतिरोध की जो क्षमता उसको बढाइये

जो होलिका है भीतर उसको जलाइये
गुटके की पीक यूँ न हवा में  उड़ाइये

हो घूमने का मन  तो जरा भांग खाइये
तन हो न  टस से मस दिमाग को घुमाइये

वो मौज मस्ती सैर सपाटा भुलाइये
बाहर के खाने को न हाथ भी लगाइये

सामान हाट से न थोक में मंगायिये
गोदाम भूलकर भी न घर को बनाइये

बातों में बस विरोध के सुर न उठाइये
अपने सिपाहियों का मनोबल बढाइये


स्वरचित
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज ऑफ फार्मेसी बभनान गोंडा
उत्तरप्रदेश 271313
www.ashutoshmishrasagar.blogspot.i.






Thursday 19 March 2020

(OB 125) चीटी भी नन्ही हाथी की ले सकती जान है


चीटी भी नन्ही हाथी की ले सकती जान है
कोरोना ने कराया हमें इसका भान है।

हाथों को जोड़ कहता सफाई की बात वो
पर तुमको गंदगी में दिखी अपनी शान है।

बातें अगर गलत हों तो बाजिब विरोध है
सच का भी जो विरोध करे बदजुबान है।

नक़्शे कदम पे तेरे  क्यूँ सारा जहाँ चले
बातों में बस तुम्हारी ही क्या गीता ज्ञान है

कोरोना की ही शक्ल में नफरत है चीन की
जिसके लिए जमीन ही सारी जहान है

मालिक के दर पे सज्दा वजू करके ही करूं
संदेश कितना बढ़िया ये देती कुरआन है

मालिक के दर पे  आशू चलो मांग लें दुआ
जल्दी चलो हरम में शुरू फिर अजान है

डॉ  आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज ऑफ फार्मेसी, बभनान गोंडा
उत्तरप्रदेश 271313
9839167801
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