देश की जानी मानी पुलिस आफिसर
अन्ना के रंग ढंग में ढल गयी
देशभक्ति के उन्माद में डूबी थी
भड़ास अभिनय बनकर निकल गयी
एक अभिनेता था कब से व्यथित
ख़ामोशी की बर्फ जाने कब पिघल गयी
देश भक्ति के उन्माद में तमाम बातें
फटे दिल से लावा बन निकल गयीं
बात खादी ओढ़ने वालों को खल गयी
खली क्या खादी सुलग गयी जल गयी
संसद में जबरदस्त बहस चल गयी
लेकिन ........................
जब सोते बच्चे को कार कुचल गयी
जब नकली दवा नौनिहालों को निगल गयी
जब दरिंदगी अबला की जिन्दगी बदल गयी
जब गुमशुदा के लिए माँ की उम्र ढल गयी
जब घोटालों की नाली नदी में बदल गयी
जब मासूम कली बिना खिले ही फल गयी
जब हिमालय की बर्फ धीरे धीरे गल गयी
जब पतित पावनी गंगा मैया उथल गयी
तब भी क्या खादी वालों को खल गयी?
तब भी क्या खादी सुलगी, क्या जल गयी
तब तो हर समस्या स्वतः सुलझ गयी
शोषिता की तस्वीर कैमरे से निकल गयी
खबर हेड लाइन और लाइन में बदल गयी
हर चैनल पर कई-कई बार चल गयी
ना जाने कितनी बार रूह झुलसी है
ना जाने कितनी बार बात खल गयी
जुवान को मैंने फिसलने से रोक रखा है
पर चोट दिल पे थी तो कलम मचल गयी
डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान,गोंडा,उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801