Tuesday, 30 August 2011

(BP 63) नवयुग का निर्माण करें हम

                 जीवन के पथ पर चलना है
                 अंगारों को गले लगाकर
                 ख्वाबों की तासीर बदल दो
                 अंतर को अपने दहकाकर
                 स्वप्न समर्पित कर देने हैं
                 सारी दुनिया को महकाकर
                 करो संधान कोई आशा सर
                 छोड़ो प्रत्यंचा आज चढ़ाकर
                 नवयुग का निर्माण करें हम
                 दिल से दिल को आज मिलाकर



डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान,गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801




10 comments:

  1. निर्माण में सबका सहयोग होना है।

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  2. Dr. AAshutosh ji ko saadar naman.
    aapki sundar prerak bhavnaon ne
    mera dil chura liya hai.

    अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

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  3. सार्थक आह्वान ... अच्छी प्रस्तुति

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  4. बहुत सुन्दर --
    प्रस्तुति |
    बधाई |

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  5. नवयुग का निर्माण करें हम
    दिल से दिल को आज मिलाकर

    निर्माण सबके सहयोग से ही संभव है.

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  6. सुन्दर प्रस्तुति...ईद मुबारक़

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  7. aap sabhi ko sadar pranam..iid ki shubhkamnaon aaur hardik dhanywad ke sath

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  8. करो संधान कोई आशा सर....

    बढ़िया भाव... सुन्दर रचना..
    बधाई...

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  9. बहुत सुन्दर --
    प्रस्तुति |
    बधाई |

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  10. निर्माण के लिए संघर्ष करना होता है। चलताऊ टिप्पणी कर दिया है।

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