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Friday, 4 October 2013

(BP17) एक दिन मुझको रुलाओगे था मालूम मुझे

यूं मुझे भूल न पाओगे था मालूम मुझे
दिल में लोबान जलाओगे था मालूम मुझे
अपने अश्कों से भिगो बैठोगे मेरा दामन 
एक दिन मुझको रुलाओगे था मालूम मुझे

मैंने सीने से लगा रक्खा है तेरा हर ख़त
ख़त मगर मेरा जलाओगे था मालूम मुझे 

यूं तो वादा भी किया, तुमने कसम भी खाई.
गैर का घर ही बसाओगे था मालूम मुझे
सारे इलज़ाम ले बैठा तो हूँ मैं अपने सर
मिलने पर नजरें चुराओगे था मालूम मुझे 

डॉ आशुतोष मिश्र 
आचार्य नरेन्द्र देव कालेज आफ फार्मसी , बभनान, गोंडा उ प्र 

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