Wednesday, 20 July 2011

 🟩  TR TO.   KS4001F A1/4) नेह भरी पाती मत लिखना


  🟩  TR TO.   KS4001F

नेह भरी पाती मत लिखना
लिख भी दो कोई  बात नहीं
नेह भरे उस प्रेम पत्र पे लिखना अपना नाम नहीं
मुझे मिला गर बिना नाम का खुशबू से पहचानूँगा
उन शब्दों के भाव अर्थ से कई गुना मैं जानूंगा
मगर  लिख  दिया  नाम  कहीं  और  पड़  गया  अंजानो  के  हाथ
तुम्हे  खबर  भी  न  होगी  और  हो  जायेगा  कोई  बर्बाद
मैं  बैचैन  फिरूंगा  इत उत न  जाने  तुम  कैसी  हो
शम्मा  से  अनजान  मगर  कोई  परवाना  जल  जायेगा
मैं  तो  फिर  ख़त  लिख  पूछुंगा  अब  कैसे  हैं  हाल तेरे
मगर  हाथ  पे  नाम  लिखे  कोई  तेरी  खोज  लगाएगा

नेह भरी पाती मत लिखना
लिख भी दो कोई  बात नहीं
नेह भरे उस प्रेम पत्र पे लिखना अपना नाम नहीं
मंद  पवन  के हिचकोलों  में  जुल्फों  को बिखरा  देना
इस  कोमल  कमनीय  बदन  से  सुरभित  पवन  पठा   देना
बादल को   आंसू   दे देना देना  उनको  ये  समझा  देना
मेरे  प्रियतम  के  दर  जाना  जाकर  ये  बरसा  देना
बूँद  समझकर  जब  पानी  की  ये  दुनिया  छुप जाएगी
भिगा -भिगा  तब  तपिश  अश्क  की  सारा  हाल  सुनाएगी

नेह भरी पाती मत लिखना
लिख भी दो कोई  बात नहीं
नेह भरे उस प्रेम पत्र पे लिखना अपना नाम नहीं




डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न०. 9839167801

14 comments:

  1. कमाल की प्रस्तुति है आशुतोष जी.
    लगता है दिल के जज्बातों की बरसात कर दी है आपने.
    बरसात के मौसम को इस बरसात ने और भी सुहावना
    बना दिया है.
    शानदार प्रस्तुति के लिए आभार.
    मेरे ब्लॉग पर दर्शन देने के लिए भी आभार.

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  2. नेह भरी पाती मत लिखना
    लिख भी दो कोई बात नहीं
    नेह भरे उस प्रेम पत्र पे लिखना अपना नाम नहीं...


    बहुत सुन्दर भीगी-भीगी-सी भावाभिव्यक्ति....

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  3. Neh ki tapish ko byan karti komal nazm.shukriya

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  4. rakesh ji, dr sharad singh ji aur amrita ji aap sabhi hausla afjayee ke liye hardik dhnyawad

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  5. bahut komal aur sachayi bayan karte jazbaat bhar diye hain is paati me. sunder saloni paati.

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  6. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब नज़्म लिखा है आपने ! ज़बरदस्त और उम्दा प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  7. नेह भरी पाती न लिखने का इसरार ... ज़माने का डर ..बखूबी दर्शाया है ...अच्छी प्रस्तुति ...

    मेरे ब्लॉग पर आ कर प्रतिक्रिया देने के लिए आभार

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  8. beautiful post. THis poem touched my heart,
    excellent write!

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  9. वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.

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  10. नेह भरी पाती मत लिखना
    लिख भी दो कोई बात नहीं
    नेह भरे उस प्रेम पत्र पे लिखना अपना नाम नहीं
    मुझे मिला गर बिना नाम का खुशबू से पहचानूँगा


    बहुत सुन्दर कविता लिखी है आपने
    आपकी लेखनी को नमन

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  11. aadeniya sangeetaji, varshaji aaderniy sanjay ji aap sabhi ne meri rachna ko sarah ..mujhe protsahit kiya .aap sabhi sudhi jano ka tahe dil shukriy

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  12. bahut khub sir, bahut hi aachi kavita hai (NEH BHARE US PREM PATRA PAR LIKHNA APNA NAAM NAHI) kyo ki pyar ko kishi pahchan ki jarurat nahi vo to ek anubhooti hai ( MUJE MILA GAR BINA NAAM KA KHUSABOO SE PAHCHANUGA).

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  13. bhaut hi sunder likha hai apne...

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  14. मुझे मिला गर बिना नाम का खुशबू से पहचानूँगा
    उन शब्दों के भाव अर्थ से कई गुना मैं जानूंगा

    बादल को आंसू दे देना उनको ये समझा देना
    मेरे प्रियतम के दर जाना जाकर ये बरसा देना
    बूँद समझकर जब पानी की ये दुनिया छुप जाएगी
    भिगा -भिगा तब तपिश अश्क की सारा हाल सुनाएगी

    वाह वाह . तारीफ के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं. बहुत ही बढ़िया.

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