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नेह भरी पाती मत लिखना
लिख भी दो कोई बात नहीं
नेह भरे उस प्रेम पत्र पे लिखना अपना नाम नहीं
मुझे मिला गर बिना नाम का खुशबू से पहचानूँगा
उन शब्दों के भाव अर्थ से कई गुना मैं जानूंगा
मगर लिख दिया नाम कहीं और पड़ गया अंजानो के हाथ
तुम्हे खबर भी न होगी और हो जायेगा कोई बर्बाद
मैं बैचैन फिरूंगा इत उत न जाने तुम कैसी हो
शम्मा से अनजान मगर कोई परवाना जल जायेगा
मैं तो फिर ख़त लिख पूछुंगा अब कैसे हैं हाल तेरे
मगर हाथ पे नाम लिखे कोई तेरी खोज लगाएगा
नेह भरी पाती मत लिखना
लिख भी दो कोई बात नहीं
नेह भरे उस प्रेम पत्र पे लिखना अपना नाम नहीं
मंद पवन के हिचकोलों में जुल्फों को बिखरा देना
इस कोमल कमनीय बदन से सुरभित पवन पठा देना
बादल को आंसू दे देना देना उनको ये समझा देना
मेरे प्रियतम के दर जाना जाकर ये बरसा देना
बूँद समझकर जब पानी की ये दुनिया छुप जाएगी
भिगा -भिगा तब तपिश अश्क की सारा हाल सुनाएगी
नेह भरी पाती मत लिखना
लिख भी दो कोई बात नहीं
नेह भरे उस प्रेम पत्र पे लिखना अपना नाम नहीं
डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न०. 9839167801
कमाल की प्रस्तुति है आशुतोष जी.
ReplyDeleteलगता है दिल के जज्बातों की बरसात कर दी है आपने.
बरसात के मौसम को इस बरसात ने और भी सुहावना
बना दिया है.
शानदार प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर दर्शन देने के लिए भी आभार.
नेह भरी पाती मत लिखना
ReplyDeleteलिख भी दो कोई बात नहीं
नेह भरे उस प्रेम पत्र पे लिखना अपना नाम नहीं...
बहुत सुन्दर भीगी-भीगी-सी भावाभिव्यक्ति....
Neh ki tapish ko byan karti komal nazm.shukriya
ReplyDeleterakesh ji, dr sharad singh ji aur amrita ji aap sabhi hausla afjayee ke liye hardik dhnyawad
ReplyDeletebahut komal aur sachayi bayan karte jazbaat bhar diye hain is paati me. sunder saloni paati.
ReplyDeleteसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब नज़्म लिखा है आपने ! ज़बरदस्त और उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
नेह भरी पाती न लिखने का इसरार ... ज़माने का डर ..बखूबी दर्शाया है ...अच्छी प्रस्तुति ...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आ कर प्रतिक्रिया देने के लिए आभार
beautiful post. THis poem touched my heart,
ReplyDeleteexcellent write!
वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteनेह भरी पाती मत लिखना
ReplyDeleteलिख भी दो कोई बात नहीं
नेह भरे उस प्रेम पत्र पे लिखना अपना नाम नहीं
मुझे मिला गर बिना नाम का खुशबू से पहचानूँगा
बहुत सुन्दर कविता लिखी है आपने
आपकी लेखनी को नमन
aadeniya sangeetaji, varshaji aaderniy sanjay ji aap sabhi ne meri rachna ko sarah ..mujhe protsahit kiya .aap sabhi sudhi jano ka tahe dil shukriy
ReplyDeletebahut khub sir, bahut hi aachi kavita hai (NEH BHARE US PREM PATRA PAR LIKHNA APNA NAAM NAHI) kyo ki pyar ko kishi pahchan ki jarurat nahi vo to ek anubhooti hai ( MUJE MILA GAR BINA NAAM KA KHUSABOO SE PAHCHANUGA).
ReplyDeletebhaut hi sunder likha hai apne...
ReplyDeleteमुझे मिला गर बिना नाम का खुशबू से पहचानूँगा
ReplyDeleteउन शब्दों के भाव अर्थ से कई गुना मैं जानूंगा
बादल को आंसू दे देना उनको ये समझा देना
मेरे प्रियतम के दर जाना जाकर ये बरसा देना
बूँद समझकर जब पानी की ये दुनिया छुप जाएगी
भिगा -भिगा तब तपिश अश्क की सारा हाल सुनाएगी
वाह वाह . तारीफ के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं. बहुत ही बढ़िया.