DOPS 1989 BATCH
अपने प्रिय दोस्तों विशाल, राजीव, जेटली,दुआ, धीरज, हरु, पारिजात,आलोक, घनश्याम, मेघराज, संजीव, पुष्पेन्द्र, वेंकटेशन , सन्मति, राजेश, प्रभात, अमित, मतरेजा, योगेन्द्र, मार्टिन, कुशवाहा, विवेक, आशीष, को समर्पित
मुद्दतों पहले बिछडते थे तो रो लेते थे
अब तो आँखें भी तरस जाती हैं बरसने को
देखकर तुमको लगा ये जैसे मिले हों पहले हम
कह रही हैं धडकनें भी बात दिल की कह लें हम
प्यार जब इतना है दिल में दूरियां क्यूँ दरमियान
आशियाँ आओ बना इक साथ में ही रह लें हम
याद होगी पहली बारिश जब थे भीगे साथ साथ
जून की तपती दुपहरी आओ मिलके सह लें हम
जर्रे जर्रे DOPS में बस खुशबू तुम्हारी यादों की
इस नदी में यादों की, पल भर सही, बह लें हम
कोई जर्मन, कोई अमरीकी, हुआ कोई ब्रितानी
आओ फिर शिमला धीरज, दुआ से मिल लें हम
डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोडा, उत्तर प्रदेश
मोबाइल न० 9839167801
सुन्दर प्रस्तुति,
ReplyDeleteहार्दिक बधाई ||
Faizabad se
याद होगी पहली बारिश जब थे भीगे साथ साथ
ReplyDeleteजून की तपती दुपहरी आओ मिलके सह लें हम
sunder abhivyakti
rachana
याद होगी पहली बारिश जब थे भीगे साथ साथ
ReplyDeleteजून की तपती दुपहरी आओ मिलके सह लें हम ...
Doston ka saath hamesha yaad dilaata hai brrti baaton ki ... jawaan rakhta hai hamesha ... vaapas unhi jaghon mein le jaata hai ... behatreen sher hain yaadon ke ....
देखकर तुमको लगा ये जैसे मिले हों पहले हम
ReplyDeleteकह रही हैं धडकनें भी बात दिल की कह लें हम
dhadkanen jab bolti hain toh munh se bolne ki jarurat nahin hoti.
bahut sundar gazal, mishra ji.
very nice
ReplyDeletemere blog pe aane aur hausla afjayee ke liye hadik dhanyawad
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखते हैं। पहली बार आया हूं यहां। आना-जाना लगा रहेगा।
ReplyDeletebahut hi badhiya..... purane doston, purane dino ki yaad dilane wali....
ReplyDeleteयाद होगी पहली बारिश जब थे भीगे साथ साथ
जून की तपती दुपहरी आओ मिलके सह लें हम
realy good and touching...
aap aur aapke mitron ko badhai....
waiting for new creation.
ReplyDeleteकोई जर्मन, कोई अमरीकी, हुआ कोई ब्रितानी
ReplyDeleteआओ फिर शिमला धीरज, दुआ से मिल लें हम
bahut sundar prastuti v abhivyakti.
बहुत सुंदर लिखा है आपने,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए!
ReplyDeleteप्यार जब इतना है दिल में दूरियां क्यूँ दरमियान
आशियाँ आओ बना इक साथ में ही रह लें हम...
बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! इस लाजवाब और उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई!
स्मृतियों से भीगी सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteयाद होगी पहली बारिश जब थे भीगे साथ साथ
ReplyDeleteजून की तपती दुपहरी आओ मिलके सह लें हम
मनोभावों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है आपने....... हार्दिक बधाई।
यादें ....मन को भिगोती रहती हैं
ReplyDeleteभावपूर्ण प्रस्तुति
बेहद खूबसूरती से पिरोया है मनोभावों को ......
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