Friday 8 July 2011

(BP64) आओ फिर शिमला धीरज, दुआ से मिल लें हम


DOPS  1989  BATCH
अपने प्रिय दोस्तों विशाल, राजीव, जेटली,दुआ, धीरज, हरु, पारिजात,आलोक, घनश्याम, मेघराज, संजीव, पुष्पेन्द्र, वेंकटेशन , सन्मति, राजेश, प्रभात, अमित, मतरेजा, योगेन्द्र, मार्टिन, कुशवाहा, विवेक, आशीष, को समर्पित

मुद्दतों पहले बिछडते थे तो रो लेते थे
अब तो आँखें भी तरस जाती हैं बरसने को



देखकर तुमको लगा ये  जैसे मिले हों  पहले हम
कह रही हैं धडकनें भी  बात दिल की कह लें हम

प्यार जब इतना है दिल में दूरियां क्यूँ दरमियान 
आशियाँ  आओ बना इक साथ में ही रह लें हम

याद होगी पहली बारिश जब थे भीगे साथ साथ
जून की तपती दुपहरी आओ मिलके सह लें हम

जर्रे जर्रे DOPS में बस खुशबू  तुम्हारी यादों की
इस नदी में यादों की, पल भर सही, बह लें हम

कोई जर्मन,  कोई अमरीकी, हुआ कोई ब्रितानी
आओ फिर शिमला धीरज, दुआ से मिल लें हम




डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोडा, उत्तर प्रदेश      
मोबाइल न० 9839167801








16 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति,
    हार्दिक बधाई ||

    Faizabad se

    ReplyDelete
  2. याद होगी पहली बारिश जब थे भीगे साथ साथ
    जून की तपती दुपहरी आओ मिलके सह लें हम
    sunder abhivyakti
    rachana

    ReplyDelete
  3. याद होगी पहली बारिश जब थे भीगे साथ साथ
    जून की तपती दुपहरी आओ मिलके सह लें हम ...

    Doston ka saath hamesha yaad dilaata hai brrti baaton ki ... jawaan rakhta hai hamesha ... vaapas unhi jaghon mein le jaata hai ... behatreen sher hain yaadon ke ....

    ReplyDelete
  4. देखकर तुमको लगा ये जैसे मिले हों पहले हम
    कह रही हैं धडकनें भी बात दिल की कह लें हम

    dhadkanen jab bolti hain toh munh se bolne ki jarurat nahin hoti.
    bahut sundar gazal, mishra ji.

    ReplyDelete
  5. mere blog pe aane aur hausla afjayee ke liye hadik dhanyawad

    ReplyDelete
  6. आप बहुत अच्छा लिखते हैं। पहली बार आया हूं यहां। आना-जाना लगा रहेगा।

    ReplyDelete
  7. bahut hi badhiya..... purane doston, purane dino ki yaad dilane wali....
    याद होगी पहली बारिश जब थे भीगे साथ साथ
    जून की तपती दुपहरी आओ मिलके सह लें हम
    realy good and touching...
    aap aur aapke mitron ko badhai....

    ReplyDelete
  8. कोई जर्मन, कोई अमरीकी, हुआ कोई ब्रितानी
    आओ फिर शिमला धीरज, दुआ से मिल लें हम
    bahut sundar prastuti v abhivyakti.

    ReplyDelete
  9. बहुत सुंदर लिखा है आपने,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

    ReplyDelete
  10. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए!
    प्यार जब इतना है दिल में दूरियां क्यूँ दरमियान
    आशियाँ आओ बना इक साथ में ही रह लें हम...
    बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! इस लाजवाब और उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई!

    ReplyDelete
  11. स्मृतियों से भीगी सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई!

    ReplyDelete
  12. याद होगी पहली बारिश जब थे भीगे साथ साथ
    जून की तपती दुपहरी आओ मिलके सह लें हम

    मनोभावों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है आपने....... हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  13. यादें ....मन को भिगोती रहती हैं
    भावपूर्ण प्रस्तुति

    ReplyDelete
  14. बेहद खूबसूरती से पिरोया है मनोभावों को ......

    ReplyDelete

लिखिए अपनी भाषा में