कोरोना का कोरोना(का रोना)
कोरोना का कुछ कोरोना (करो ना)
जितना हो सकता हो दूरियां बनाइये
मुख से न कहके बात नयन से जताइये
मुख से न कहके बात नयन से जताइये
घबराइये न दिल को दिलासा दिलाइये
विपदा की घड़ी में भी बस मुस्कुराइये
जीभर के बात अपनी सबको सुनाइये
बस थोड़ा और अपने मुँह को घुमाइये
घर जो आये हाथ सोप से धुलाइये
पी के नींबू नींद भी गहरी लगाइये
बस प्राणायाम योग ध्यान आजमाइये
प्रतिरोध की जो क्षमता उसको बढाइये
जो होलिका है भीतर उसको जलाइये
गुटके की पीक यूँ न हवा में उड़ाइये
हो घूमने का मन तो जरा भांग खाइये
तन हो न टस से मस दिमाग को घुमाइये
वो मौज मस्ती सैर सपाटा भुलाइये
बाहर के खाने को न हाथ भी लगाइये
सामान हाट से न थोक में मंगायिये
गोदाम भूलकर भी न घर को बनाइये
बातों में बस विरोध के सुर न उठाइये
अपने सिपाहियों का मनोबल बढाइये
स्वरचित
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज ऑफ फार्मेसी बभनान गोंडा
उत्तरप्रदेश 271313
www.ashutoshmishrasagar.blogspot.i.
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 22 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी जरूर । मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आपका सादर
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