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पीना न तुम शराब ये आदत ख़राब है
पीना न तुम शराब ये आदत ख़राब है
कहती है हर किताब ये आदत ख़राब है
बदनाम तुमने कर दिया देखो शराब को
पीते हो बेहिसाब ये आदत ख़राब है
कोई सवाल पूछे बला से जनाब की
देते नहीं जवाब ये आदत ख़राब है
इक घूँट जिसने पी कभी कैसे कहे बुरा
पीते हो बेहिसाब ये आदत ख़राब है
कोई सवाल पूछे बला से जनाब की
देते नहीं जवाब ये आदत ख़राब है
इक घूँट जिसने पी कभी कैसे कहे बुरा
हरगिज न हो जवाब ये आदत ख़राब है
तकदीर से ये हुस्न मिला है तो क़द्र कर
जाए न कर शबाव ये आदत ख़राब है
तकदीर से ये हुस्न मिला है तो क़द्र कर
जाए न कर शबाव ये आदत ख़राब है
अब छोडिये गुजार दी शब् मयकशी में यूं
कहते हैं सब गुलाब ये आदत ख़राब है
वाइज मिला था यार मुझे मैकदे में कल
पीकर कहे शराब ये आदत ख़राब है
पी मय को आशु झूंठ कोई बोलता नहीं
उसको कहा ख़राब ये आदत ख़राब है
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान गोंडा ओ बी ओ 30
डॉ साहब बहुत उम्दा ग़ज़ल है !
ReplyDeleteमकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !
नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !
नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !
सच है, आदत ख़राब है।
ReplyDeleteवाह वाह यह आप ही लिख सकते है सर
ReplyDeleteshukriya meri rachna saraahne k liye.
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें...