मैं नहीं बोल पाऊंगा
एक दिन मेरे बायोलोजी के शिक्षक ने
भरी कक्षा में एक प्रश्न उठाया
बच्चों बिल्ली के गुणों को समझाओ
इसके गुणों की किसी अन्य जीव से
उदाहरण सहित समानता बताओ
छात्रों ने कई गुण बताये
समानता में शेर और चीते के नाम भी सुझाए
अवसर पाकर मैंने भी मुह खोला
बिल्ली के गुण बताये
लेकिन जैसे ही बिल्ली को नेता के समरूप बतलाया
मेरा शिक्षक चिल्लाया
मूर्ख! नेता को बिल्ली बता रहा है
मैंने कहा नाराजगी मत दिखाइए
उदाहरण पर गौर फरमाइए
चोरों के तरह दूध पीती बिल्ली पर
जब नजर पड़ जाती है
बिल्ली छुप जाती है
जब चारों तरफ से घिर जाती है
आक्रामक हो जाती है
बिल्ली की जूठन किसी के काम नहीं आती है
बिल्ली माल खाए तो खाए नहीं तो धुलकाये
ऐसे ही नेता जब घोटाले करता पकड़ा जाता है
छुप जाता है
जब सीबीआई की जांच में घिर जाता है
आक्रामक हो जाता है
माल जब नहीं पचा पाता है तो स्विस बैंक पहुँचाता है
ये मामला
यान को अन्तरिक्ष पहुचाते राकेट सा नजर आता है
यान अंतरिक्ष में और माल स्विस बैंक में जाता है
रॉकेट की तरह नेता भी बापस लौट आता है
यान तो यदा कदा बापस भी आ जाता है
माल कभी नहीं आता है
बिल्ली की तरह नेता
माल पचा पाए तो पचाता
नहीं तो लुढकाता है
और इसका भी जूठा
किसी के काम नहीं आता है
मैंने कहा यदि सहमत हों तो
सहमती में सर हिलाइए
मेरी पीठ थपथपाइए
गुरूजी बोले निजात कैसे मिलेगी
ये भी तो बताईये
मैंने कहा निजात तब मिल पायेगी
जब......
जब...कब....?
पहेली मत बुझाओ
जबाब बताओ
मैं बोला मैं नहीं बोल पाऊंगा
मुह का ताला नहीं खोल पाऊँगा
क्योंकि बीरता के प्रतीक स्वरुप किसी को
शेर बता दो तो सीना फुलाता है
बफादारी के प्रतीक स्वरुप
कुत्ता कह दो तो गुर्राता है
मगर हकीकत में कुत्ते सी बफादारी का जज्वा ही
बिल्ली सी शैतानियत को कब्जे में लाएगा
इन बिल्ली नेताओं से देश
तब तक नहीं बच पायेगा
जब तक पूरा हिन्दुस्तान
----- नहीं हो जाएगा
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० ९८३९१६७८९०१
वाह वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,क्या बात है
ReplyDeleteRECENT POST: नूतनता और उर्वरा,
काश, देश को उन्मुक्तता मिले..
ReplyDeleteबहुत अच्छा व्यंग !
ReplyDeleteअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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सटीक और सार्थक
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति,,सटीक और सार्थक!
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ReplyDeleteवाह! मजेदार..
ReplyDeleteप्रशंसनीय रचना - बधाई
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)