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ntwritten on the occasion of swarn jayanti samaharoh of the departme
यही उस समंदर का अजनबी किनारा है
जहाँ पर मिले थे हम कभी अजनबी
जहाँ पर मिले थे हम कभी अजनबी
यहीं पर वो लहरें हैं यहीं पर वो गीत हैं
यहीं पर धडकता दिल है यही पर वो मीत हैं
यहीं पर धडकता दिल है यही पर वो मीत हैं
यही उस समंदर का अजनबी किनारा है
जहाँ पर मिले थे हम कभी अजनबी
जहाँ पर मिले थे हम कभी अजनबी
यहाँ पर सभी को मिली अपनी मंजिल
किसी को गमे महफ़िल किसी को हसीन दिल
कोई नाजनीनो को बस देख पाया
किसी ने गुलों संग घरोंदा बसाया
किसी को गमे महफ़िल किसी को हसीन दिल
कोई नाजनीनो को बस देख पाया
किसी ने गुलों संग घरोंदा बसाया
यही उस समंदर का अजनबी किनारा है
जहाँ पर मिले थे हम कभी अजनबी
जहाँ पर मिले थे हम कभी अजनबी
यहाँ धडकनों की सदा अब भी आये
कोई कांच मंदिर उठकर तो जाए
कोई कांच मंदिर उठकर तो जाए
यहाँ रान गिरी जंगल वो पानी की झील है
यहाँ पर परेट मंदिर , मोटल कैटी है
यहाँ सागर झील है यहाँ वीला डैम है
जो कुछ भी मैंने कहा सब उसके फैन हैं
यहाँ पर परेट मंदिर , मोटल कैटी है
यहाँ सागर झील है यहाँ वीला डैम है
जो कुछ भी मैंने कहा सब उसके फैन हैं
राहत मिली है राहत गढ़ में
जमी से भी कितना ऊपर यूं चढ़के
यहाँ की हवाओं में मुहब्बत के नगमें
यहाँ की फिजाओं में बिखरे हैं सपने
यही उस समंदर का अजनबी किनारा है
जहाँ पर मिले थे हम कभी अजनबी
जमी से भी कितना ऊपर यूं चढ़के
यहाँ की हवाओं में मुहब्बत के नगमें
यहाँ की फिजाओं में बिखरे हैं सपने
यही उस समंदर का अजनबी किनारा है
जहाँ पर मिले थे हम कभी अजनबी
My unveil emotion
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