Saturday, 31 March 2012

(BP 55) पलकें झुकाना आ गया, पलकें उठाना आ गया

पलकें झुकाना आ गया, पलकें उठाना आ गया
इस तरह अब आपको सबको मिटाना आ गया
दो कदम तनहा सफ़र वो तय नहीं कर पाए हैं
जिंदगी में उनकी जबसे  ये दीवाना आ गया

सोचकर निकले थे घर से आज मस्जिद जायेंगे
करते क्या रह-ए- हरम में मैकदा जब आ गया

खूबसूरत सी लगी है ये  जिंदगी जब- जब हमें
दरम्यां तब- तब कहीं से कोई  फ़साना आ गया

मीना है, मय-मयकदा है, शेख, साकी रिंद है 
ये जमी, जन्नत हुई , मौसम सुहाना आ गया

बज्म में उनकी जबसे जिक्रे-ए-आशु आ गया 
चारसू- चर्चा कहाँ से ये अब बेगाना आ गया 

डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मास्य
बभनान,गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801


A2/5

२२१२ २२१२ २२१२ २२१२ MODIFIED

पलकें झुकाना  गयापलकें उठाना  गया
बस इस हुनर से अब उन्हें सबको मिटाना आ गया
 तनहा सफ़र दो भी कदम उनके लिये मुश्किल बड़ा
अब ज़िंदगी में उनकी भी मुझसा दिवाना आ गया
घर से निकलते वक़्त सोचा था कि मस्जिद जायेंगे
करते भी क्या साकी का जब रह में ठिकाना आ गया
जब जब हमें ये जिंदगानी खूबसूरत सी लगी
तब तब कही से जिन्दगी में इक फ़साना आ गया
मीना है मय है मैकदा है शेख साकी रिंद हैं
जन्नत लगे है मैकदा मौसम सुहाना आ गया
महफ़िल में उनकी आज चर्चा हो रहा आशू का है
हर सू में अब कहते बशर आशिक पुराना आ गया

सोचकर निकले थे घर से आज मस्जिद जायेंगे
करते क्या रह-हरम में मैकदा जब  गया
खूबसूरत सी लगी है ये  जिंदगी जबजब हमें
दरम्यां तबतब कहीं से कोई  फ़साना  गया
मीना हैमय-मयकदा हैशेखसाकी रिंद है 
ये जमीजन्नत हुई , मौसम सुहाना  गया
बज्म में उनकी जबसे जिक्रे--आशु  गया 
चारसूचर्चा कहाँ से ये अब बेगाना  गया 




35 comments:

  1. बहुत खूब, हाल ए दिल बताना आ गया।

    ReplyDelete
    Replies
    1. praveen jee aap nirantar mujhe protsahit karte hain..aap isi tarah mujhe kuch na kuch likhne ka hausla dete hain..hardik dhanywad ke sath

      Delete
  2. क्या बात है बहुत कुछ आ गया आपको तो

    ReplyDelete
    Replies
    1. sir jkuch.ee abhi kahan aaya hai sab..abhi to aapse bahut kuch seekhna hai..aap se mulakat nahi ho pa rahi hai..aapke dwara diye gaye samsya purti ko hal karne kee koshi kee ..par bahut kathin tha..kar nahi paaya

      Delete
    2. चुप चाप सब कुछ, सिखाते जा रहे हैं डाक्टर को -

      हब गजल गाना हमें भी दो बता ।

      क्या हमेशा आप गाफिल ही रहेंगे--

      आप तो उस्ताद हैं, दीजे जता --

      Delete
    3. भाई रविकर जी! यह तो डॉ. साहब की क़द्रदानी है नहीं तो बकौल मियां ग़ालिब-
      हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त वर्ना,
      दिल के बहलाने को ग़ालिब ये ख़्याल अच्छा है।

      Delete
  3. कोशिश करते रहिए साहब कुछ तो होगा ही
    आपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 2-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ

    ReplyDelete
  4. आज तो एक्केदम छा गये आशुतोष जी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. aaderneey bhai saheb...aaj mere liye badi khushi ka din ..aap aisa hee sneh banaye rakhein aur nirantar protsahit karte rahei. sadar prnaam ke sath...

      Delete
  5. बहुत सुन्दर..

    ReplyDelete
  6. Replies
    1. राह-ए-हरम होना चाहिए शायद????

      means on the way??

      Delete
    2. डाक्टर साहब केवल दो लाइन पढ़कर भी मैंने की थी पहली टिप्पणी |
      कहाँ गई वो ??

      मस्त है भाई |

      धर्म अपना हैं निभाती चीज सारी -
      आदमी केवल बदलता जा रहा |

      क़त्ल करना धर्म उनका है अगर -
      मकतूल क्योंकर मर्सिया फिर गा रहा |

      इक बार तो नजदीक जाओ बेखबर
      शर्तिया बोलोगे कातिल भा रहा |

      जिस्म के छोटे बड़े टुकड़े करे-
      फेंक देता यकबयक बस कलेजा खा रहा |

      पूंछ कर देखो जरा उस हुश्न से-
      स्वाद कितना किस कदर है आ रहा |

      भैया मूर्ख-दिवस है इसलिए
      मैंने भी हाथ साफ़ कर लिया |
      आखिर सब कुछ माफ़ है न आज |
      वैसे मेरी तुरंती बहुतों को नागवार लगती है ||

      Delete
    3. हा हा हा --

      यह तो सरासर नाइंसाफी है । सीधे शीधे दोष लगा रहे हैं ।

      अरे भाई यही तो मिला है काम उनको ।

      अभी पहला शेर ही पढ़ा है

      और ठहाका लगाया है ।

      पहले यह पोस्ट करता हूँ ।

      फिर पढता हूँ आगे ---

      Delete
    4. रह और राह में फ़र्क़ नहीं है भाई दानों का अर्थ है रास्ता अर्थात हरम का रास्ता।
      मात्राओं की ज़रूरत के मुताबिक फ़िट कर लीजिए। जैसे- रहगुज़र और राहगुज़र एक ही है।

      Delete
  7. सुन्दर गज़ल.......
    खूबसूरत सी लगी है ये जिंदगी जब- जब हमें
    दरम्यां तब- तब कहीं से कोई फ़साना आ गया

    बढ़िया शेर....
    सादर.

    ReplyDelete
  8. मत्स्य-कन्या अप्सरा या धूर्त नागिन, हीरिये फिर नाम जग में छा रहा ।।

    ReplyDelete
  9. सोचकर निकले थे घर से आज मस्जिद जायेंगे
    करते क्या रह-ए- हरम में मैकदा जब आ गया
    वाह!!!!!बहुत सुंदर गजल ,क्या बात है,बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति,

    MY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,

    ReplyDelete
  10. बेहतरीन, लाजवाब!!

    ReplyDelete
  11. बेहतरीन सृजन शब्दों ,व भावों का सुन्दर समन्वय बधाईयाँ जी /

    ReplyDelete
  12. पलकें झुकाना आ गया, पलकें उठाना आ गया
    इस तरह अब आपको सबको मिटाना आ गया
    ....बहुत खूब जी
    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है.
    दिल में हिम्मत व हौंसला जगाती हुई.....!!!!

    ReplyDelete
  13. bahut umda prayaas ashaar sabhi achche bane hain radeef ko bhi nibahte chale hain.

    ReplyDelete
  14. लाज़बाब है मिश्रा भाई ... लिखते रहिये

    ReplyDelete
  15. दो कदम तनहा सफ़र वो तय नहीं कर पाए हैं
    जिंदगी में उनकी जबसे ये दीवाना आ गया
    मतले का सारल्य और हर शैर का अपना अंदाज़ आपका मन को भा गया ,लो फिर से आशिकी का ज़माना आगया .
    दो कदम तनहा सफ़र वो तय नहीं कर पाए हैं
    जिंदगी में उनकी जबसे ये दीवाना आ गया
    बहुत खूब है अंदाज़े बयान आपका ,देखो कितना मन को भा गया .

    ReplyDelete
  16. देखो कितना मन को अपने भा गया ..
    देखो कितना मन को अपने भा गया ..
    आशिकी हमको निभाना आ गया .

    ReplyDelete
  17. हर सु चर्चा यही है दीवाना है दीवाना .
    लीजिये बोनस में दो नुश्खे और -
    नुश्खे सेहत के :सनस्ट्रोक से राहत के लिए दो से तीन ग्लास छाछ (शीत ,मठ्ठा या बटर मिल्क )नित्य पियें .

    गंभीर सनस्ट्रोक के मामले में प्याज का अर्क हलके हलके मरीज़ के हाथ की हथेलियों और पैर के तलुवे पर मलें .

    HEALTH TIPS:

    To cure sunstroke ,drink two to three glasses of buttermilk a day .

    For severe sunstroke ,rub onion juice on the palms and soles of the patient.

    ReplyDelete
  18. मीना है, मय-मयकदा है, शेख, साकी रिंद है
    ये जमी, जन्नत हुई , मौसम सुहाना आ गया

    वाह! बहुत सुंदर....
    सादर।

    ReplyDelete
  19. दो कदम तनहा सफ़र वो तय नहीं कर पाए हैं
    जिंदगी में उनकी जबसे ये दीवाना आ गया
    हूँ...हूँ....??? :))
    सोचकर निकले थे घर से आज मस्जिद जायेंगे
    करते क्या रह-ए- हरम में मैकदा जब आ गया
    बहुत खूब .....!!

    ReplyDelete
  20. bahut hi shandar .... waaaahh..

    ReplyDelete
  21. कितना सुन्दर लिखा है... बधाई

    ReplyDelete
  22. सोचकर निकले थे घर से आज मस्जिद जायेंगे
    करते क्या रह-ए- हरम में मैकदा जब आ गया


    wah mishr ji ....urdu ....shabdon pr pakad bna lena vakai rachana ko khoob soorati pradan karana hai ....bilkul shayrana andaj ke sath lajbab rachana lagi ..badhai sweekaren.

    ReplyDelete

लिखिए अपनी भाषा में