Monday, 29 August 2011

(A2/32) जल गयी हैं जो मशालें वो ना बुझने देना

       
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जल गयी हैं जो मशालें वो ना बुझने देना
          जिस तिरंगे  को उठाया है,    झुकने देना
          भारती की ही दुआओं का  असर है आज ये 
          लाये जो  तूफ़ान मिलकर वो रुकने देना
          हैं सड़क पर और संसद में भी माँ के लाडले
          दिल से दिल की दूरियां अब ना बढ़ने देना
          एक अन्ना सा मिला सच्चा पुजारी सच का
          इस हकीकत पे कोई  कालिख   चढ़ने देना
          भेष में आज पुजारी के  डाकू चोर ज्यादा हैं
          गेंहू  के साथ मगर  घुन को ना  पिसने देना
          मुद्दतों बाद सही, आया  समझ माँ  क्या  है
          बास्ते माँ  के  गर  अब सर कटे कटने देना
           माँ का  आँचल है तार तार अपने बेटों से

          सिल ना पाओ तो इसे और ना  फटने  देना
   जल गयी हैं जो मशालें वो ना बुझने देना
          जिस तिरंगे  को उठाया है, न   झुकने देना
          भारती की ही दुआओं का  असर है आज ये 
          लाये जो  तूफ़ान मिलकर वो न रुकने देना
          हैं सड़क पर और संसद में भी माँ के लाडले
          दिल से दिल की दूरियां अब ना बढ़ने देना
          एक अन्ना सा मिला सच्चा पुजारी सच का
          इस हकीकत पे कोई  कालिख न  चढ़ने देना
          भेष में आज पुजारी के  डाकू चोर ज्यादा हैं
          गेंहू  के साथ मगर  घुन को ना  पिसने देना
          मुद्दतों बाद सही, आया  समझ माँ  क्या  है
          बास्ते माँ  के  गर  अब सर कटे कटने देना
           माँ का  आँचल है तार तार अपने बेटों से
          सिल ना पाओ तो इसे और ना  फटने  देना

डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र दो कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर आह्वान्।

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  2. यही उत्साह बना रहे।

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  3. सार्थक अपील ......ये मशाल जलती रहनी चाहिए

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