भ्रस्टाचार उन्मूलन आन्दोलन के दौरान जन भावना और सरकार की कूटनीति को उकेरती रचना
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पहले ज्वालामुखी हो जाओ
फिर सोना है तो सो जाओ
अंतर का लावा पिघलाओ
अपने अन्दर आग जलाओ
सौम्य दिखो बाहर से जितना
पर न निज मकसद बिसराओ
परिवर्तन की राह कठिन है
अभी दूर अपनी मंजिल है
स्वप्न तिरोहित न हो जाएँ
खुशी- खुशी ये ना खो जायें
गिरगिट जैसा रंग बदलते
नहीं भरोसा शैतानो का
गुल, गुलदस्ता, चमन हमारा
नहीं किसी भी बेगाने का
राहे -ए -मंजिल पर ये खुशियाँ
कभी- कभी भरमा जाती है
चाहत का वो चाँद दूर रख
तारों से बहला जाती हैं
एक बार जिस तरह जुड़े हम
बार- बार जुड़ना होगा
एक इशारा मिलते ही बस
नींद तोड़ जगना होगा
एक जाग्रत ज्वालमुखी सा
फिर बन लावा बहना होगा
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान,गोंडा,उत्तरप्रदेश
मोबाइल नो 9839167801
A2/2
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पहले ज्वालामुखी हो जाओ
फिर सोना है तो सो जाओ
अंतर का लावा पिघलाओ
अपने अन्दर आग जलाओ
सौम्य दिखो बाहर से जितना
पर न निज मकसद बिसराओ
परिवर्तन की राह कठिन है
अभी दूर अपनी मंजिल है
स्वप्न तिरोहित न हो जाएँ
खुशी- खुशी ये ना खो जायें
गिरगिट जैसा रंग बदलते
नहीं भरोसा शैतानो का
गुल, गुलदस्ता, चमन हमारा
नहीं किसी भी बेगाने का
राहे -ए -मंजिल पर ये खुशियाँ
कभी- कभी भरमा जाती है
चाहत का वो चाँद दूर रख
तारों से बहला जाती हैं
एक बार जिस तरह जुड़े हम
बार- बार जुड़ना होगा
एक इशारा मिलते ही बस
नींद तोड़ जगना होगा
एक जाग्रत ज्वालमुखी सा
फिर बन लावा बहना होगा
sachmuch....lava ban kar bahane se hi naee duniyaa ka nirmaan hoga, chetana jagegi. prerak vicharon ke liye badhai...
ReplyDeleteगुल, गुलदस्ता, चमन हमारा
ReplyDeleteनहीं किसी भी बेगाने का.
बहुत ही शानदार सर. ये सोच ही आगे बढ़ा सकती है सुधार की सतत प्रक्रिया को. वाह वाह
बहुत सुन्दर रचना.......
ReplyDeleteउत्साह जगाती रचना।
ReplyDeleteVery nice creation Mishra Ji... Congrats for this fabulous creation and regard for comment on my blog's creation... Please come again...
ReplyDeleteसही दिशा निर्देश देती अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteएक इशारा मिलते ही बस
ReplyDeleteनींद तोड़ जगना होगा
एक जाग्रत ज्वालमुखी सा
फिर बन लावा बहना होगा....
Very inspiring and motivating creation...
.
जोश जगाती..प्रेरणा देती रचना के लिए आपको शुभकामनायें.
ReplyDeleteसुन्दर भावनात्मक कविता !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और अर्थ की बेहद सार्थक प्रेरक रचना .बधाई !
ReplyDeleteबुधवार, ७ सितम्बर २०११
किस्मत वालों को मिलती है "तिहाड़".
प्रेरणा देती एक सार्थक रचना।
ReplyDeleteसौम्य दिखो बाहर से जितना
ReplyDeleteपर न निज मकसद बिसराओ
wow,quite motivating.
bahut hi bhavmai.josh se bhari shaandaar rachanaa.badhaai aako.mere blog per aane ke liye shukriyaa.meri nai post aapke tipaddi ke intajaar main hai.
ReplyDelete"पहले ज्वालामुखी हो जाओ ,फिर सोना है तो सो जाओ" - बेहतरीन आह्वाहन
ReplyDeleteबढिया।
ReplyDeleteजीवन्त विचारों की बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
ReplyDeleteसरल शब्दों में बडी बात...
ReplyDelete------
क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
आपकी पोस्ट आज "ब्लोगर्स मीट वीकली" के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /आप हमेशा ऐसे ही अच्छी और ज्ञान से भरपूर रचनाएँ लिखते रहें यही कामना है /आप ब्लोगर्स मीट वीकली (८)के मंच पर सादर आमंत्रित हैं /जरुर पधारें /
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