मन तो पागल हो जाता
जब अलि कलि पे मिल जाता
जब अलि कलि पे मिल जाता
रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम
रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम
सावन जब नगमें गाता
मन तो पागल हो जाता है
मन तो .........................
कल-कल कल-कल करती तटिनी
झर-झर झर -झर झरते झरने
योवन के चरमोत्कर्ष पे
जब गुलाब खिल जाता है
मन तो पागल हो जाता है
मन तो .........................
पनघट पे पानी भरती
अल्वेली अल्हड पनिहारिन
लहर लहर लहराए कमरिया
आँचल नहीं संभाला जाता
मन तो पागल हो जाता है
मन तो .........................
तपती तेज रवि किरने
मुझको बैचैन नहीं करती
सौम्य शांत शीतल शशांक से
जब तन मन जल जाता है
मन तो पागल हो जाता है
मन तो .........................
जब तक था हमसफ़र साथ में
रूठे रूठे रहते थे
जुदा हुए दो ही पल में जब
दर्दे दिल बढ़ जाता है
मन तो पागल हो जाता है
मन तो .........................
डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801
बरसती बूँदें और मन का एकाकीपन, मन पागल हो जाता है।
ReplyDeleteजब तक था हमसफ़र साथ में
ReplyDeleteरूठे रूठे रहते थे
जुदा हुए दो ही पल में जब
दर्दे दिल बढ़ जाता है
मन तो पागल हो जाता है achhe bhaw
क्या बात है...पागलमन को पागलपन का एहसास
ReplyDeleteचंचल मनवा......
ReplyDeleteमन की मति पर मत चलियो रे
जीते जी मरवा देगा.
आज 11- 09 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
कमाल है,डॉ. साहब कमाल है.
ReplyDeleteआप तो गजब ढहा रहें हैं.
शब्दों के संगीत से भावों की तरंगों
का ज्वार भाटा ही ला दिया है आपने.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना ....
ReplyDeleteman ke komal bhavon ka khoobsoorat chitran.
ReplyDeleteकमाल है ||
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||
सौम्य शांत शीतल शशांक से
ReplyDeleteजब तन मन जल जाता है ....
आनंद आ गया भाई सा. चमत्कृत अलंकृत रचना पढ़कर...
सादर साधुवाद....
मिश्र जी, बहुत अच्छी रचना है...
ReplyDeleteशायद ऐसा अहसास सभी को कभी न कभी होता है।
ReplyDeleteकभी -कभी मन पागल हो जाता है .......सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसौम्य शांत शीतल शशांक से
ReplyDeleteजब तन मन जल जाता है
मन तो पागल हो जाता है
खूबसूरती से लिखे एहसास
सुन्दर शब्द औ भाव चित्र मानसिक कुन्हासे का सजीव चित्रण .
ReplyDeleteAashu jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आज हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
ReplyDeleteआप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
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ध्वन्यात्मकता से परिपूर्ण रचना ने मन को छू लिया.अतिसुन्दर.
ReplyDeleteयह रचना ही नहीं साधना है।
ReplyDeleteसुन्दर शब्द भाव.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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जय हिंद जय हिंदी राष्ट्र भाषा
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,डॉक्टर साहब.
ReplyDeleteनई पोस्ट जारी की है.