राजनीती के अधार्मिकीकरण से क्षुब्ध
खुदा के एक बन्दे ने मन ही मन सोचा
क्यों न धार्मिकीकरण की मुहीम चलाई जाए
नव क्रांति की चेतना फैलाई जाई
यह सोचकर एक नयी पार्टी बनाई
लोगों में एक नयी अलख जगाई
ये बात एक बाहुबली नेता को खल गयी
उसकी हैवानियत मचल गयी
बौखलाहट तमाचे की शक्ल में
खुदा के बन्दे के गालो पर उतर गयी
बन्दे की आँखें क्षलक्षलाई
जिसने देखा उसकी आँखें भर आई
बन्दे ने आसमान की तरफ सर उठाया
फिर न जाने क्या सोचकर मुस्कुराया
बन्दे की आखों से टपकते अश्क
सम्बेदना के बीज बो गए
जो उसे जानते भी न थे;
उसके हो गए
कुछ दिनो बाद खबर आयी
बाहुबली को बस कुचल गयी
बाहुबली को बस कुचल गयी
खुदा के बन्दे की सीट निकल गयी
इश्वर से मेरी दूरियां फिर सिमट गईं
फिर दिल से उठी कुछ हलचलें
होंठों को चीरकर बातावरण में घुल गयी
मेरे आंसुओं ने कहा
वाह रे मालिक क्या युक्ति निकाली है
भक्त की परीक्षा भी कर डाली है
पापी के पाप की घडिया भी भर डाली है
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र दो कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल नो 9839167801
मेरे आंसुओं ने कहा
ReplyDeleteवाह रे मालिक क्या युक्ति निकाली है
भक्त की परीक्षा भी कर डाली है
पापी के पाप की घडिया भी भर डाली है
यथार्थ के धरातल पर रची गयी एक सार्थक रचना!
वाह रे मालिक क्या युक्ति निकाली है ||
ReplyDeleteधन्यवाद मालिक ||
बहुत सुन्दरता से पिरोये शब्द ||
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई |
सही कहा ....आज -कल बिलकुल ऐसी ही परिस्थिति हो गई है
ReplyDeleteकहीं हम धर्म के ततेवों को विदा न दे बैठें।
ReplyDelete*तत्वों को
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ReplyDeleteअच्छा व्यंग है ..वैसे यथार्थ के धरातल पर खरी है रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...बधाई
ReplyDeletebhaut hi khubsurat rachna....
ReplyDeleteभक्त की परीक्षा भी कर डाली है
ReplyDeleteपापी के पाप की घडिया भी भर डाली है
bahut hi umda soch. kya baat kahi hai aapne..
भक्त की परीक्षा भी कर डाली है
ReplyDeleteपापी के पाप की घडिया भी भर डाली है
but hi umda prastuti. ek yatharth