Wednesday 5 October 2011

(A2/36) मौन हैं : लता. सचिन और अमिताभ

a2 se transfer 
ईश्वर जब भी  चाहता है कुछ अनोखा करना
भेजना चाहता है कोई अद्भुत सन्देश
छेड़ना चाहता है सुर लहरी
खेलना  चाहता है बच्चों जैसे खेल
संबारना चाहता है धरती का आँचल
दमन करना चाहता है अनीति का
मिटाना चाहता है पापियों  को समूल
तब-तब
चुनता है किसी को
बनाता है अपना  निमित्त
और इस सत्य को जानकार ही
सुर लहरियों से जग को बहलाकर
रनों के अम्बार लगाकर
अभिनय का झंडा फहराकर
मौन हैं लता. सचिन और अमिताभ
और
खुद को भूखा प्यासा रख;
मुस्कुराते हैं अन्ना गाँधी की  तरह
न जाने कितने खुदा के बन्दे
बिना इठलाये ,बिना इतराए
कर रहे हैं पूर्ण; ईश्वर के ख्वाब , निमित्त बनकर
धरती को संवारने का संकल्प दिल में लिए .....
सम्भब्तः  इसीलिए
ईश्वर ने तुम्हे चुना था
शायद तुम पूरे  कर सको उसके स्वप्न
और शायद  इसलिए मैंने भी
चुना है ईश्वर को
मुझे भी ख्वाइश है उसकी कृपा की...
मैं  साक्षी हूँ तुम्हारी प्रतिभा के पल्लवन का
पर शायद तुम्हे अब याद नहीं है यह
जमीन पर रहते हुए  ही तुम्हे लगता  है
न जाने कितनी  सीढियां चढ़ गए हो तुम
कल्पना करते हो की   उठा के हाँथ
बांध लोगे आकाश को अपनी मुट्ठी में.....
शायद तुम्हे भ्रमित करते हैं
कागज के वो चंद  टुकड़े
जो तब्दील कर  देते हैं रोज
तुम्हारे खातों के अंकों को
बड़े अंकों में..........
अब तुम्हे गुरेज है खेलने में
गुल्ली डंडा और आँख  मिचोली मेरे साथ
अब गंवारा नहीं है  तुम्हे
एक  नजर  भर  कर  देखना भी  मुझे
अब मेरी आँखें  सिर्फ बहती हैं
अब नहीं होता है
सांत्वना  का कोई हाथ मेरे सर पर....
पर मैं जानता हूँ  
तुम  मुझसे मिलोगे
जब बहोगे नदियों में
उदोगे  हवाओं   में
राख बनकर मेरे साथ
और जब-
मिला  देंगी सागर की लहरें
तुम्हे और मुझे;
तुम्हारे न   चाहते हुए  भी...
तब सिर्फ मैं सुन  सकूँगा
तुम्हारे रुदन  की आवाज
लेकिन ....
लेकिन  तब नहीं होंगी;
 मेरी आँखें रोने को
तब नहीं होंगे मेरे हाथ
तुम्हे सांत्वना देने के लिए
शायद!
शायद  तब तक  देर हो चुकी होगी
बहुत देर  ................





डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801




















24 comments:

  1. कहाँ से शुरू कर के कहाँ तक आपकी सोच जाती है ... लाजवाब ..

    ReplyDelete
  2. युक्तिसंगत विचार श्रंखला।

    ReplyDelete
  3. खुली चेतावनी या मुखर सन्देश सबके लिए ..क्या कहूँ...उम्दा लेखन .बधाई

    ReplyDelete
  4. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  5. रचना में
    उपयोगिता के अंश,
    भरपूर हैं...

    अभिवादन .

    ReplyDelete
  6. उत्कृष्ट रचना ! लेकिन यह अपेक्षा इन्हीं तीन से क्यों ? सृष्टि का संतुलन बनाये रखने के लिये परचम उठाने वाले हाथों की संख्या अनगिनत है ! उन सभीका आह्वान कीजिये और उन्हें भी प्रेरित कीजिये !

    ReplyDelete
  7. आपके पोस्ट पर आना सार्थक हुआ । प्रस्तुति अच्छी लगी । मरे पोस्ट पर भी पधारें । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  8. Dr Ashutosh Mishra ji really u hv shown unveiled emotions...
    रचनात्मक रचनाएँ आप की मन को छू गयी अनछुए पहलू दिखे सच में लोग बस अपने में मस्त किसी भी तरह से धनार्जन करो देश दुनिया का ख्याल ...कभी कभी झंडा छू लो ....हमारे सभी मित्रो को आप के साथ साथ विजय दशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं -सौभाग्य से कुल्लू में प्रभु श्री राम के दर्शन हुए और मन में आया आप सब के बीच भी इस शुभ कार्य को बांटा जाए .--
    इसमें शरीक होने और आप की शुभ कामनाओं के लिए
    आभार आप का
    भ्रमर ५

    खुद को भूखा प्यासा रख;
    मुस्कुराते हैं अन्ना गाँधी की तरह
    न जाने कितने खुदा के बन्दे
    बिना इठलाये ,बिना इतराए
    कर रहे हैं पूर्ण; ईश्वर के ख्वाब , निमित्त बनकर
    धरती को संवारने का संकल्प दिल में लिए .....
    सम्भब्तः इसीलिए
    ईश्वर ने तुम्हे चुना था

    ReplyDelete
  9. हर कोई प्रकृति में योगदान कर रहा है। कोई उसे दूषित करने में,तो कोई उस दूषित की सफाई में!यह हमें ही चुनना है कि जीवन का उपयोग किस रूप में करना है।

    ReplyDelete
  10. भावों की गहनतम बुनाई...
    सार्थक अभिव्यक्ति....
    सादर बधाई...

    ReplyDelete
  11. "शायद तुम्हे भ्रमित करते हैं
    कागज के वो चंद टुकड़े
    जो तब्दील कर देते हैं रोज
    तुम्हारे खातों के अंकों को
    बड़े अंकों में.........." क्या बात है……सुंदर रचना…बहुत बहुत बधाई।

    ReplyDelete
  12. बहुत सुंदर रचना उन सब दिग्गजों का आव्हान करती हुई कि समय आ गया है कि वे भी जनता की प्रेरणा बन कर जनता के साथ खडे हों वरना बहुत देर हो जायेगी ।

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर रचना उन सब दिग्गजों का आव्हान करती हुई कि समय आ गया है कि वे भी जनता की प्रेरणा बन कर जनता के साथ खडे हों वरना बहुत देर हो जायेगी ।

    ReplyDelete
  14. बहुत सुंदर रचना उन सब दिग्गजों का आव्हान करती हुई कि समय आ गया है कि वे भी जनता की प्रेरणा बन कर जनता के साथ खडे हों वरना बहुत देर हो जायेगी ।

    ReplyDelete
  15. मुखर सन्देश, बहुत बहुत बधाई......

    ReplyDelete
  16. धन्यवाद आशुतोष जी ! आपने मेरी प्रतिक्रिया पर असंतोष व्यक्त नहीं किया ! आपने जिस ब्लॉग 'उन्मना'को फोलो किया है वह मेरी माँ की रचनाओं का ब्लॉग है ! वे अपने समय की प्रसिद्ध कवियित्री थीं ! मेरी अपनी रचनाओं का ब्लॉग 'सुधीनामा' है ! आप उस पर भी आयेंगे तो मुझे हार्दिक प्रसन्नता होगी !

    http://sudhinama.blogspot.com

    ReplyDelete
  17. नई सोच के साथ अलग शैली में प्रस्तुत उत्तम विचार।

    ReplyDelete
  18. सार्थक सन्देश देती पोस्ट सकारात्मक पोस्ट .विचार प्रेरक लम्बी कविता .विचार कविता .

    ReplyDelete
  19. गहन अर्थों को समेटती भावप्रवण कविता।

    ReplyDelete
  20. Dr Mishr, ...very nice creation...loving it.

    ReplyDelete
  21. ये लोग हमेशा खामोश रहे हैं…जबकिअ ताकत कम नहीं इनके पास…

    ReplyDelete
  22. Sir,aap ke rachna hamesha prareet karti hai
    gd evng sir

    ReplyDelete

लिखिए अपनी भाषा में