जख्म सैंकड़ों सीने में ले
सजल नयन है
गली-गली में घूम रहा हूँ
दर-दर पे देता हू दस्तक सजल नयन है
रूँधा कंठ है
पथिक थक गया ,
पथ अनंत है
कदम-कदम पे चौराहे हैं
चक्कर खाती ये राहें हैं
बियावान से कितने जंगल
पथ गहरी सरिताओं वाले
पर्वत की ऊँची छोटी है
गहरी खाई, गहरे नाले
ढूंढेंगे हम तुझे जहाँ पे
ऐसा न कोई दिगंत है
पथिक थक गया पथ अनंत है
खुशियाँ कोसों दूर खड़ी हैं
रुग्ण हताश यहाँ जन-जन है
आँख मिचौनी बहुत हो चुकी
आजा आके गले लगा जा
जर्जर तन है
टूटा मन है
तू न लौटी तो, निश्चित ही
मानव का आ गया अंत है
आजा, ढूंढ़ नहीं पाऊंगा
बांध सब्र का टूट रहा है
सांसों की गति मंद-मंद है
पथिक थक गया
पथ अनंत है
डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801
कॉलेज लाइफ पोएम (1989 -1995)
कूक रही है कोयक काली,
ReplyDeleteसंध्या की रक्तिम ये लाली.
ऊपर नभ में घटा घिरी है,
नीचे फैली है - हरियाली.
देखो प्रकृति का खेल निराली,
सुरभित मंद पवन मतवाली.
छाई कपोल में देखो लाली,
तुम छिपे कहाँ हो बनमाली?
कूक पिक की हो गयी बंद,
मिल गया उसे पिया का संग.
जाने क्यों भाग्य उसकी है फूटी?
चकवी की आस आज फिर टूटी.
देखकर तप-त्याग चिरैया की,
तरु ने पत्ते भी त्याग दिया.
लेकिन वह कितना है निष्ठुर,
अब तक न उसे है याद किया.
सुनेगा कौन उसकी फ़रियाद?
न जाने कब से कर रही है याद?
कब छातेगी यह रजनी की बेला?
कब आएगा उज्ज्वल प्रात सवेरा?
शानदार प्रस्तुति |
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार ||
behtreen prstuti...
ReplyDeleteहे, थको नहीं, चुपचाप बढ़ो,
ReplyDeleteअब हर दिन कुछ आकार गढ़ो।
Nice .
ReplyDeletehttp://commentsgarden.blogspot.com/
आजा, ढूंढ़ नहीं पाऊंगा
ReplyDeleteबांध सब्र का टूट रहा है
सांसों की गति मंद-मंद है
पथिक थक गया
पथ अनंत है
.सुन्दर भावाभिवाक्ति बधाई .
ज़िंदगी की रहा अक्सर ऐसी ही हो जाया करती है शानदार अभिव्यक्ति ...समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeletehttp://mhare-anubhav.blogspot.com/
प्रिय डॉ आशुतोष मिश्र जी आभार ..प्रोत्साहन और समर्थन के लिए आभार
ReplyDeleteरचना ये बड़ी प्यारी लगी काश खुशियाँ ही खुशियाँ सब को मिल जाएँ.... जय माता दी
भ्रमर ५
खुशियाँ कोसों दूर खड़ी हैं
रुग्ण हताश यहाँ जन-जन है
आँख मिचौनी बहुत हो चुकी
आजा आके गले लगा जा
पर्वत की ऊँची छोटी है
ReplyDeleteपर्वत की ऊंची चोटी है ....कृपया सुधार दें
अच्छी रचना है ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteपथ अनंत है... चलते जाना है..
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