जंगल बेदना
सदय होने का मिला परिणाम क्या
मनु को बचाने का मिला प्रतिदान क्या
आध्यात्म फूला-फला जिसकी गोद में
वो जल रहा है क्यों स्वयं अब क्रोध में
क्यूँ कुपित न हो उजाड़ा जब उसे
दोष मनु पुत्रों का देगा फिर किसे
गैर न मानी मनु संतति कभी
सैंकड़ों पर पुत्र उसके और भी
मौन तरु जो झूमते मस्ती में अपने
चट्टाने पाहन चूमती , लहराती तटिनी
गर्जना, चिंघाड़ उसके लाडलों की
चौकड़ी मासूम से मृग दलों की
झर-झराते सैंकड़ों झरने भी अल्हड
बन झाड़ियाँ झर्बेरियां कैसे सुघड़
ढलती निशा में उंघते जंगल
रात सारी गूंजते जंगल
अपनी धुन हैं गीत भी संगीत भी
दुर्गम किला, राजा, प्रजा, मंत्री सभी
मनुज को दी प्राण बायु, फल- फूल भी
बृष्टि की बूंदे भी, कंद मूल भी
सोचते मनु पुत्र पर क्या? राम जाने!
जंगलों ने तो दिए अनुपम खजाने
किन्तु क्यों बिष घोलते मनु पुत्र अब
मारते निज स्वार्थ बश वन पुत्र अब
साम्राज्य जंगल का सिमटता जा रहा है
सीने में पर्वत के अब बम फट रहे हैं
चट्टानों पर भी बरसते सतत घन
बेदना करते बयां अब मूक पाहन
मनु पुत्र अपनी श्रेष्ठता दिखला रहा है
सच! मौत का ही जाल बुनता जा रहा है
नित्य आयेंगे भूकंप होंगे भूस्खलन
ललकारेंगी तटिनी, चट्टानें रौद्र पाहन
उम्मीद न कर ए मनु अब शान्ति की
आग तूने ही लगाई क्रान्ति की
मायने ना जीत के न हार के
इतराने का परिणाम खुद ही देख लो
भूकंप, गर्मी, बाढ़ कुछ तो सोच लो
अब भी समय है -हे मनु कुछ जान लो
प्रकृति की शक्ति जरा पहचान लो
क्योंकि सबने भूल की ऐसा नहीं है
बोये सबने शूल भी ऐसा नहीं है
मनु के सदय जो पुत्र हैं; वो मान लें
पागलों को मारना हैं ठान लें
संधि का सन्देश लेके स्वयं जाएँ
नंगे गिरि को बस्त्र पहनाएं
अतिक्रमित साम्राज्य जब हम बापस करेंगे
हम भी हँसेंगे और जंगल भी हँसेंगे हसेंगे
कॉलेज जीवन के कृति
डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, 9839167801
सदय होने का मिला परिणाम क्या
मनु को बचाने का मिला प्रतिदान क्या
आध्यात्म फूला-फला जिसकी गोद में
वो जल रहा है क्यों स्वयं अब क्रोध में
क्यूँ कुपित न हो उजाड़ा जब उसे
दोष मनु पुत्रों का देगा फिर किसे
गैर न मानी मनु संतति कभी
सैंकड़ों पर पुत्र उसके और भी
मौन तरु जो झूमते मस्ती में अपने
चट्टाने पाहन चूमती , लहराती तटिनी
गर्जना, चिंघाड़ उसके लाडलों की
चौकड़ी मासूम से मृग दलों की
झर-झराते सैंकड़ों झरने भी अल्हड
बन झाड़ियाँ झर्बेरियां कैसे सुघड़
ढलती निशा में उंघते जंगल
रात सारी गूंजते जंगल
अपनी धुन हैं गीत भी संगीत भी
दुर्गम किला, राजा, प्रजा, मंत्री सभी
मनुज को दी प्राण बायु, फल- फूल भी
बृष्टि की बूंदे भी, कंद मूल भी
सोचते मनु पुत्र पर क्या? राम जाने!
जंगलों ने तो दिए अनुपम खजाने
किन्तु क्यों बिष घोलते मनु पुत्र अब
मारते निज स्वार्थ बश वन पुत्र अब
साम्राज्य जंगल का सिमटता जा रहा है
सीने में पर्वत के अब बम फट रहे हैं
चट्टानों पर भी बरसते सतत घन
बेदना करते बयां अब मूक पाहन
मनु पुत्र अपनी श्रेष्ठता दिखला रहा है
सच! मौत का ही जाल बुनता जा रहा है
नित्य आयेंगे भूकंप होंगे भूस्खलन
ललकारेंगी तटिनी, चट्टानें रौद्र पाहन
उम्मीद न कर ए मनु अब शान्ति की
आग तूने ही लगाई क्रान्ति की
मायने ना जीत के न हार के
इतराने का परिणाम खुद ही देख लो
भूकंप, गर्मी, बाढ़ कुछ तो सोच लो
अब भी समय है -हे मनु कुछ जान लो
प्रकृति की शक्ति जरा पहचान लो
क्योंकि सबने भूल की ऐसा नहीं है
बोये सबने शूल भी ऐसा नहीं है
मनु के सदय जो पुत्र हैं; वो मान लें
पागलों को मारना हैं ठान लें
संधि का सन्देश लेके स्वयं जाएँ
नंगे गिरि को बस्त्र पहनाएं
अतिक्रमित साम्राज्य जब हम बापस करेंगे
हम भी हँसेंगे और जंगल भी हँसेंगे हसेंगे
कॉलेज जीवन के कृति
डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, 9839167801
मंगल को जंगल कर डाला....
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 26-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteबढ़िया संदेश देती रचना।
ReplyDeleteअब भी मानव सुधर जाए ... सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना
ReplyDeleteअतिक्रमित साम्राज्य जब हम बापस करेंग
ReplyDeleteहम भी हँसेंगे और जंगल भी हँसेंगे हसेंगे बहुत सुन्दर मिश्र जी वर्तमान परिवेश के लिए एक सार्थक रचना .... आभार |
बहुत सुंदर सन्देश देती रचना,...अच्छी प्रस्तुती,
ReplyDeleteक्रिसमस की बहुत२ शुभकामनाए.....
मेरे पोस्ट के लिए--"काव्यान्जलि"--बेटी और पेड़-- मे click करे
जंगल के प्रति आपकी चिंता जायज है मगर यह इन्सान समझता ही नहीं सार्थक पोस्ट आभार
ReplyDeletesundar bhav pravan rachna ,badhayee.
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति।
ReplyDeleteसार्थक सन्देश देती सुन्दर रचना...
ReplyDeleteसादर बधाई...
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच-741:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
सुन्दर सन्देश देती रचना.
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति।
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