Wednesday, 22 June 2011

(A1/56) चाँद, तारों से कभी बात कर

चाँद,     तारों    से     कभी  बात कर
मलिका-ए-हुश्न      मुलाकात      कर

कल   अमावस थी गवारा  था    मुझे
अब्र में    छुप,  ना  वही   हालात   कर

शह पे शह,  अब रोक   भी दो खेल
उकता चुका, अब तो मेरी  मात कर

तेरे   प्रश्नों  के तुझे     दूंगा      जवाब
एक दफा     मुझसे तू  सवालात   कर

प्यासा कोई मर    रहा है प्यास     से
नाजनीना,  कुछ तो    ख़यालात कर



डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी  
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न०; 9839167801




4 comments:

  1. Bahut achhi rachna.apke blog me aake achha laga.. sath hi maine follow bhi kar liya hai.
    Mere blog par aane ke liye dhanyawad..

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  2. 'शह पे शह, अब रोक भी दो खेल
    उकता चुका, अब तो मेरी मात कर'

    हार में जीत का मज़ा कोई सच्चा प्रेमी ही ले सकता है पर अगला भी कम नहीं जो हराना ही नहीं चाहता...वाह!

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  3. प्यासा कोई मर रहा है प्यास से
    नाजनीना, कुछ तो ख़यालात कर

    -बहुत खूब!!!

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