बला की खूबसूरत है अदा हर जिसकी कातिल है
जवां हर दिल की धड़कन है दीवानों की वो मंजिल है
खुले मैखानो सी आँखें छलकते जाम से आंसू
फकत चर्चा उन्ही का जिनके गालों पे हंसी तिल है
अरे परियों की शहजादी इनायत हम पे कर इतनी
नजर भर देख ले हमको हुई क्यों इतनी बेदिल है
झलक दिखला के इक अपनी हुए गुम वो कहाँ जाने
यूं ही क्या खेलनें को बस, मिला उनको मेरा दिल है
सजाई चान्दिनी सी शब् जला दिल मैंने अपना ही
न सोचा था, नजर के तीरों वाली इतनी बुजदिल है
डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801
डायरी पेज २०१३ १९ जनवरी
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801
A1/57
१२२२ १२२२ १२२ १२२२
बला की खूबसूरत है अदा हर जिसकी कातिल है
जवां हर दिल की धड़कन है दीवानों की वो मंजिल है
खुले मैखानो सी आँखें छलकते जाम से आंसू
फकत चर्चा उन्ही का जिनके गालों पे हंसी तिल है
अरे परियों की शहजादी इनायत हम पे कर इतनी
नजर भर देख ले हमको हुई क्यों इतनी संग दिल है
झलक दिखला के इक अपनी हुए गुम वो कहाँ जाने
यूं ही क्या खेलनें को बस, मिला उनको मेरा दिल है
सजाई चान्दिनी सी शब् जला दिल मैंने अपना ही
न सोचा था, नजर के तीरों वाली इतनी बुजदिल है
डायरी पेज २०१३ १९ जनवरी
अरे भैये! वो कौन बुज़दिल क़ातिल है हम भी तो जाने शायद कुछ मदद कर सकेँ।
ReplyDeleteनमस्कार!
main kuch likhne ki himmat kar saka yah aapki madad aur prerna se hi sambhav hua hai..baise aisa kuch hai bhi nahi hona bhi nahi hai..namaskar
ReplyDeletewah Mishra ji wah. Hum bhi aap hi ke ilake se hain ...Gorakhpur se. :)
ReplyDeletegopalji aap mere blog se jude aur hausla afjayee ki... aapka shukriya
ReplyDeletebahut badhiya..
ReplyDelete