Friday, 24 June 2011

(A1/55) तुम जब भी आते हो, चाँद छुप जाता है

तुम जब   भी आते हो,   चाँद  छुप  जाता है    
तुम जैसे   शरमाते,    वो   भी    शर्माता है

जब तक नहीं हो    तुम,   चाँद इतराता है 
जब   देखे   रूप   तेरा      नजरें   झुकाता   है

हम किससे नाता जोडें, दिल किसका तोड़ दें 
सोच सोच बातें यही  जिया     घबराता    है 

तुम दिल  की धड़कन हो, होंठो का गीत हो
मगर वो भी तारों  की  महफ़िल सजाता है 

चांदो    ने   मिलकर    के   नींद  चैन लूटा  है 
एक    तरसाता   हमें      दूजा     जलाता   है   
   




 डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान गोंडा उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801




4 comments:

  1. KAYE BADDE, PHIR SE SHAYARANA ANDAJ MEIN GAJAB DHA RAHE HO

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..!
    मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है ..!

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