तुम जब भी आते हो, चाँद छुप जाता है
तुम जैसे शरमाते, वो भी शर्माता है
जब तक नहीं हो तुम, चाँद इतराता है
जब देखे रूप तेरा नजरें झुकाता है
तुम दिल की धड़कन हो, होंठो का गीत हो
मगर वो भी तारों की महफ़िल सजाता है
चांदो ने मिलकर के नींद चैन लूटा है
एक तरसाता हमें दूजा जलाता है
तुम जैसे शरमाते, वो भी शर्माता है
जब तक नहीं हो तुम, चाँद इतराता है
जब देखे रूप तेरा नजरें झुकाता है
हम किससे नाता जोडें, दिल किसका तोड़ दें
सोच सोच बातें यही जिया घबराता है तुम दिल की धड़कन हो, होंठो का गीत हो
मगर वो भी तारों की महफ़िल सजाता है
चांदो ने मिलकर के नींद चैन लूटा है
एक तरसाता हमें दूजा जलाता है
डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान गोंडा उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801
KAYE BADDE, PHIR SE SHAYARANA ANDAJ MEIN GAJAB DHA RAHE HO
ReplyDeleteबढ़िया है...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ..!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है ..!
बढ़िया गज़ल....
ReplyDeleteसादर...