दिल का दरिया, हुआ है बर्फ, पिघल जाने दो
कुछ गुहर दिल के खजाने से निकल जाने दो
आज ये पलकें तुम अपनी खुली यूं ही रखना
डूब के आँखों में, दिल दिल से बदल जाने दो
खूब समझाया तुमने दिल को रिवाज़-ए -उल्फत
फिर भी गर बच्चे सा मचले तो मचल जाने दो
झुक के उठना तेरी पलकों का एक क़यामत है
अब क़यामत ही सही दिल तो बहल जाने दो
मैकदे ने भी यूं ही छोड़ा लड़खड़ाते हुए
अपनी बांहों का सहारा दो संभल जाने दो
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
कुछ गुहर दिल के खजाने से निकल जाने दो
आज ये पलकें तुम अपनी खुली यूं ही रखना
डूब के आँखों में, दिल दिल से बदल जाने दो
खूब समझाया तुमने दिल को रिवाज़-ए -उल्फत
फिर भी गर बच्चे सा मचले तो मचल जाने दो
झुक के उठना तेरी पलकों का एक क़यामत है
अब क़यामत ही सही दिल तो बहल जाने दो
मैकदे ने भी यूं ही छोड़ा लड़खड़ाते हुए
अपनी बांहों का सहारा दो संभल जाने दो
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
babhnan
मोबाइल न० 9839167801
nice one sir
ReplyDeletenice one sir
ReplyDeleteromantic one nice sir
ReplyDeleteWah sir wah, yesa likhe hai ki padne ke bad padne wale ka DIL BHI BAHAL JAYEGA
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