दिव्या जी के ब्लॉग पे छिड़ा महा धर्मं-संग्राम
आदरणीया दिव्या जी
आपने अच्छा लिखा और लोगों से लिखवाया
सबको हंसाया, फंसाया और उलझाया
समय के साथ ये मसला गहराया
सबको हंसाया, फंसाया और उलझाया
समय के साथ ये मसला गहराया
धार्मिक ढोंग की गुत्थी को अनायास सुलझाया
लेकिन उधो के ज्ञान को गोपिओं की भक्ति ने ही झुठलाया
लेकिन उधो के ज्ञान को गोपिओं की भक्ति ने ही झुठलाया
दो शब्द जान कर कुछ लोगों का मन भरमाया
ईश्वर को हो झूठा ठहराया
कोई केचुए को काट रहा है
कोई आत्मा को दो हिस्सों में बात रहा है
कोई पुनर्जन्म को शैतानी रूह बता रहा है
एक दूसरे से बिबादों को गहरा रहा है
एक दूसरे से बिबादों को गहरा रहा है
एक मेट्रिक का बच्चा आठवीं के बच्चे को धमका रहा है
अपने शब्दों में उलझा रहा है
मैं आपके ब्लॉग पैर रोज आ रहा हूँ
अपने शब्दों में उलझा रहा है
मैं आपके ब्लॉग पैर रोज आ रहा हूँ
एक प्यारी सी नयी कृति की उम्मीद लगा रहा हूँ
लेकिन भीड़ में फंसता जा रहा हूँ
लेकिन भीड़ में फंसता जा रहा हूँ
अब तो अपना पुराना कमेन्ट भी नहीं ढूंढ पा रहा हूँ
एक बेटा किसी को पिता कहता है
एक पिता किसी को बेटा कहता है
उनके दरमियाँ सिर्फ एक बिश्वास रहता है
एक बेटा किसी को पिता कहता है
एक पिता किसी को बेटा कहता है
उनके दरमियाँ सिर्फ एक बिश्वास रहता है
बरना बिज्ञान तो खेल दिखायेगा
जब तक DNA रिपोर्ट नहीं आ जाती
जब तक DNA रिपोर्ट नहीं आ जाती
बाप बेटे को गले नहीं लगाएगा
और लगा भी लिया तो दूसरा कमेन्ट कर जायेगा
क्लोन के बच्चे को गले लगा रहा है
और लगा भी लिया तो दूसरा कमेन्ट कर जायेगा
क्लोन के बच्चे को गले लगा रहा है
देखो कैसे मुस्कुरा रहा है
नास्तिक कहकर खुद को जो खुदा से ऊँचा दिखा रहा है
बही अपनी बीमार बिटिया के लिए
नास्तिक कहकर खुद को जो खुदा से ऊँचा दिखा रहा है
बही अपनी बीमार बिटिया के लिए
मंदिर की चौखटों पे सर झुका रहा है
डॉक्टर - I TREAT HE CURES KA बोर्ड लगा रहा है
सेटे लाइट छोड़ने से पहले कोई नारियल चटका रहा है
कोई बृहस्पति को दाढ़ी नहीं बनाता
कोई मंगल को मीट नहीं खाता
डॉक्टर - I TREAT HE CURES KA बोर्ड लगा रहा है
सेटे लाइट छोड़ने से पहले कोई नारियल चटका रहा है
कोई बृहस्पति को दाढ़ी नहीं बनाता
कोई मंगल को मीट नहीं खाता
मेरी समझ में एक कारण आता है
नाइ और कसाई को रेस्ट मिल जाता है
कोई बलात हठ न दिखाए इसे धर्म से जोड़ा जाता है
आदमी धर्म बनाता है
धर्म ईश्वर के नाम पे खुद को बचाता है
और जीवन का सफ़र प्यार से आगे बढ़ जाता है
ईश्वर गेहू बनाता है; हम रोटी बनाकर इतराते हैं
ईश्वर पानी बनाता है हम आइस का मजा उड़ाते हैं
उसके दिए खिलोने से खेलकर उसी को उंगली दिखाते हैं
उसके शब्द मंत्र बन जाते हैं
बादलों को चीरकर बारिश लाते हैं
तुम्हारे शब्द कोलाहल मचाते हैं
मानसून आते आते थम जाते हैं
कुछ लोग तटस्थ होके मजा ले रहे हैं
कुछ भीष्म की तरह मौन सब सब रहे हैं
मेरी तरह कुछ लोग सकते में आ रहे हैं
इतने कमेन्ट देखकर दांतों तले उंगली दबा रहे हैं
जिनहे लगता है धर्म झूठा, कर्म झूठा, मरम झूठा
वेद झूठा, ग्र न्थ झूठा, हर उपनिशद हर मंत्र झूठा
ऐसे बिज्ञान के महापंडितों, चितेरों और दीवानों
तुम बिज्ञान के कितने भी गुण गा लो
हो हिम्मत तो मौत को झुठला लो
दिल की एक बात मैं भी उठा रहा हूँ
तुम्हारे शब्द कोलाहल मचाते हैं
मानसून आते आते थम जाते हैं
कुछ लोग तटस्थ होके मजा ले रहे हैं
कुछ भीष्म की तरह मौन सब सब रहे हैं
मेरी तरह कुछ लोग सकते में आ रहे हैं
इतने कमेन्ट देखकर दांतों तले उंगली दबा रहे हैं
जिनहे लगता है धर्म झूठा, कर्म झूठा, मरम झूठा
वेद झूठा, ग्र न्थ झूठा, हर उपनिशद हर मंत्र झूठा
ऐसे बिज्ञान के महापंडितों, चितेरों और दीवानों
तुम बिज्ञान के कितने भी गुण गा लो
हो हिम्मत तो मौत को झुठला लो
दिल की एक बात मैं भी उठा रहा हूँ
गौर फरमाइए
धर्म और बिज्ञान को जोड़कर
बैज्ञानिक धर्म बनाइये
लोगों में समता लाईये
धर्म और बिज्ञान को जोड़कर
बैज्ञानिक धर्म बनाइये
लोगों में समता लाईये
प्यार और सदभाव बढाईये
ईश्वर के बिबिध रूपों में एक रूप पाईये
मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे कही भी जाईये
पर ईश्वर को मत झुठलाईये
शब्दों से ईश्वर की तस्वीर न बनाईये
ईश्वर के बिबिध रूपों में एक रूप पाईये
मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे कही भी जाईये
पर ईश्वर को मत झुठलाईये
शब्दों से ईश्वर की तस्वीर न बनाईये
तुम्हारी चेतना ही ईश्वर है
महसूस करिए और कराईये
मानो तो मैं गंगा माँ हूँ
न मानो तो बहता पानी
महसूस करिए और कराईये
मानो तो मैं गंगा माँ हूँ
न मानो तो बहता पानी
दिव्या जी के ब्लॉग पे आये महान धर्माचार्यों
हम तो बस यही गुनगुनाते हैं दुहराते हैं, सुनाते हैं , समझाते है
drashumishra1970@gmail.com
सुन्दर और इतना बड़ा! ग़ज़ब...
ReplyDeletedhanyawad sir...
ReplyDeleteकाफी अच्छा लिखा है आपने मिश्रा जी.
ReplyDeleteहहाहाहाहा... क्या बात है, बहुत बढिया।
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पर आये,इसके लिए बहुत बहुत आभार आपका.
ReplyDeleteकुछ आध्यात्मिक ब्लोग्स के लिंक निम्न हैं.
http://www.blogger.com/profile/04048005064130736717
http://www.blogger.com/profile/11911265893162938566
http://www.blogger.com/profile/08855726404095683355
http://www.blogger.com/profile/13644251020362839761
http://www.blogger.com/profile/03223817246093814
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आपकी दिव्या जी के ब्लॉग पर की गई टिपण्णी को यहाँ पढकर अच्छा लगा.आपकी इस पोस्ट से बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है.
Pranam sir,
ReplyDeletekya baat hai sir ,vah vah vah vah
Wah sir wah kya likha hai, RELIGON, SCIENCE aur GOD me tulnatmak varnan
ReplyDeleteVaah .. kitna kuch hai Divya ji ke blog mein ... aapki paini nazar ke kya kahne ...
ReplyDeleteसर मैंने आपकी यह रचना चर्चामंच पर लगा दी थी आपने दूसरा डाला ही नहीं का आप इस लिंक- http://charchamanch.blogspot.com/ पर आयें और अपने विचार से अवगत कराएं कि मेरे द्वारा दिये गये लिंक्स कैसे रहे
ReplyDeleteबधाई |
ReplyDeleteजान बची --
पहली टिप्पणी को ही जबरदस्ती चर्चा
में घसीट लिया गया था |
कुछ पोस्ट कर रहा हूँ ||
(!)
फेंक देती एक पत्थर
शान्त से ठहरे जलधि में-
और फिर चुप-चाप लहरों
का मजा लेते रहें |
मेंढक-मछलियाँ-जोंक-घोंघे
आ गए ऊपर सतह पर-
आस्था पर व्यर्थ ही
व्यक्तव्य सब देते रहे ||
केवल दिव्याजी के लिए |
(!!)
"आस्था"बहस का विषय नहीं है |
Divya ji's recent post has prompted you to write thereon and paste a post on your own blog.It can be inferred as an achievement of Divya ji's post.
ReplyDeleteDr mishra ,
ReplyDeleteआपकी कविता में बहुत कुछ समाहित है. कुछ लोग दोहरा चरित्र जी रहे हैं, उनका भी बखूबी वर्णन किया है आपने. . व्यंग भी है , और सुन्दर सन्देश भी.
Kusumesh ji , Thanks.
ReplyDeleteaap sabhi ko hardik dhanyawad
ReplyDeleteवाह मिश्रा जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तरीके से आपने पूरा निचोड़ ही प्रस्तुत कर दिया
महाभारत का सच ....सामने आ रहा है
real scientific outlook.DO not accept or deny unless prooved by experiments. BUT ..................GOD can not be prooved....HE can be realized!!!!!
ReplyDeleteक्या बात है सर!... बधाई
ReplyDeleteव्यंग....और सुन्दर सन्देश
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