Monday, 12 December 2011

(A1/38) किसी लकीर को छोटा कैसे बनाओगे?

किसी लकीर को छोटा कैसे बनाओगे?


बचपन में शिक्षक ने
एक लकीर को श्यामपट पर बनाया था 
फिर उसे 
अनुभव, ज्ञान, उपलब्धियों और शिक्षा का
प्रतीक बताकर 
एक सवाल उठाया था
प्यारे बच्चों 
कैसे तुम इस लकीर को छोटा बनाओगे?
बच्चों को मौन देखकर 
शिक्षक ने युक्ति बताई थी
उसने एक बड़ी लकीर 
छोटी के बगल में बनाई थी
बात बच्चों को बेहद रास आयी थी
सदियों तक बच्चों ने ये युक्ति अपनाई 
अपनी लगन, मेहनत से 
पसीने की बूंदे बहाईं  थीं
बढ़ती हुई छोटी लकीर से;
अपनी लकीर बड़ी बनाई थी
किन्तु समय के साथ
ज्ञान, बिज्ञान, राजनीत, चिकित्सा,
खेलों,
तकरीबन हर क्षेत्र में
 होशियारों की
नयी जमात आयी
जिसने अपनी लकीर तो समय के साथ बढ़ायी
पर दूसरों की लकीर भी घटाई
हर क्षेत्र में उपलब्धियां  बढ़ती गयीं
लकीर बढ़ने वालों की शान में कसीदे कढ़ती गयीं
ज्ञान, बिज्ञान, शिक्षा ,चिकित्सा 
क्षेत्रों की उपलब्धियां त्रिशंकु हो गयीं
शोध  पत्रों  के अम्बार  लग  गए
आम आदमी के सपने;
शोधकर्ताओं के गलों के
सोने चांदी के तमगो की भेट चढ़ गए
उपलब्धियां मृग- मरीचिका हो गयीं
शोध पत्र शब्दों का छलावा हो गए
ज्ञान बिज्ञान के रहस्य  
रहस्यों   में उलझकर खो गए
किन्तु लकीर बढ़ाने की कला में
महारत हासिल हो गयी
नए होशियारों की फ़ौज
नए नए करतब दिखा रही है
अब नाहक पसीना   नहीं बहा रही है
अब हर बढ़ती  लकीर को मिटा रही है
ज्ञान बिज्ञान के रहस्य, रहस्य रह गए
खेल, संस्कृति, राजनीती, 
सब नए पैकर में ढल गए
जो  बढती  हर लकीर को जितना मिटा रहा है
ऊँचा न होकर भी ऊँचा नजर आ रहा है


डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा , उत्तरप्रदेश
मोबाइल नो 9839167801





























22 comments:

  1. आजकल तो बातों की ही श्रेष्ठता ही रह गयी है, सुन्दर पंक्तियाँ।

    ReplyDelete
  2. वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! सटीक प्रस्तुती!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

    ReplyDelete
  3. वाह ...बहुत ही बढि़या।

    ReplyDelete
  4. .बेजोड़ भावाभियक्ति....

    ReplyDelete
  5. अति सुन्दर |
    शुभकामनाएं ||

    dcgpthravikar.blogspot.com

    ReplyDelete
  6. बेहतरीन.........

    ReplyDelete
  7. प्रवीण जी की बात से सहमत हूँ ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/

    ReplyDelete
  8. आज के वक़्त के मुताबिक सही आंकलन

    ReplyDelete
  9. जो बढती हर लकीर को जितना मिटा रहा है
    ऊँचा न होकर भी ऊँचा नजर आ रहा है।

    आपका मरे पोस्ट 'साहिर लुधियानवी' पर आना मुझे बहुत ही अच्छा लगा । आपका पोस्ट रोचक लगा । मेरे नए पोस्ट नकेनवाद पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  10. आदरनीय शास्त्री जी..सादर प्रणाम..मुझे बेहद ख़ुशी है की आप मेरे ब्लॉग पर आये और मेरी रचना को चर्चा मंच के लिए चयनित किया..सादर

    ReplyDelete
  11. आम आदमी के सपने;
    शोधकर्ताओं के गलों के
    सोने चांदी के तमगो की भेट चढ़ गए
    उपलब्धियां मृग- मरीचिका हो गयीं
    शोध पत्र शब्दों का छलावा हो गए
    ज्ञान बिज्ञान के रहस्य
    रहस्यों में उलझकर खो गए

    बहुत सुन्दर मिश्र जी , एक यथार्थ परक रचना के लिए आभार .
    मेरे ब्लॉग के नए पोस्ट पर आमंत्रण स्वीकार करें | ख़ुशी होगी |

    ReplyDelete
  12. सच है आज मिटाने में ज्यादा मेहनत हो रही है ... आज का यथार्थ लिखा है ..

    ReplyDelete
  13. नयी जमात आयी
    जिसने अपनी लकीर तो समय के साथ बढ़ायी
    पर दूसरों की लकीर भी घटाई

    बहुत बढ़िया रचना...
    सादर

    ReplyDelete
  14. काश लोग ये समझ जाते की लकीर छोटा करने के` बजाये एक बड़ी लकीर खींचने का प्रास ही सार्थक कदम होगा.

    ReplyDelete
  15. वाह - आज - कल कमजोर बनाओ और आगे बढ़ो की मिति में सब जी जान से लग गए है ! ! बधाई

    ReplyDelete
  16. aaj ko darpan dikhaati hui rachna.bahut umda behtreen.yahi to ho raha hai aajkal.

    ReplyDelete
  17. आपका पोस्ट मन को प्रभावित करने में सार्थक रहा । बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट 'खुशवंत सिंह' पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  18. बहुत ही सारगर्भित रचना आभार

    ReplyDelete
  19. जो बढती हर लकीर को जितना मिटा रहा है
    ऊँचा न होकर भी ऊँचा नजर आ रहा है

    ReplyDelete
  20. आपकी प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर,सार्थक और विचारणीय है.
    आपके अनुपम ज्ञान, मनन-चिंतन का लाभ हम लोगो
    को मिल रहा है यह हमारे लिए सौभग्य की बात है.प्रभु से
    प्रार्थना है आप स्वस्थ तन और प्रसन्न मन से ब्लॉग जगत
    को सदा सदा प्रकाशित करते रहें.

    प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

    ReplyDelete

लिखिए अपनी भाषा में