चोरों के एक गाँव में
चोरों ने पंचायत बिठाई
एक नेता चुनने की बात उठाई
किसी ने दी सर्बाधिक चोरियों की दुहाई
किसी ने बड़ी चोरियां गिन्वायीं
हर करतूत के अंक निर्धारित हुए
ही अव्वल थे वो नेता साबित हुए
बात जब ये चर्चा में आई
बेईमानो, डकैतों ,लुटेरों
बलात्कारियों ,भ्रस्तों, घूसखोरों
अत्याचारियों और देशद्रोहियों ने
अपने-अपने ग्रामों में अलख जगाई
नेता बनाने की कवायद् चलाई
चोरों की तरहसबसे बड़ा अत्याचारी, भ्रस्ताचारी
बलात्कारी और व्यभिचारी
सिरमौर बनाये गए
बक्त के साथ हर ग्राम ने अपना कारोबार बढाया
परिणाम स्वरुप
लुटेरा चोर के
और बलात्कारी ब्याभिचारी के करीब आया
धीरे धीरे ये मसला गरमाया
हर आदमी ने सारे गुणों को अपनाया
चोर लुटेरे बलात्कारी व्याभिचारी
एक रंग में ढल गए
दिल से दिल, ग्राम से ग्राम मिल गए
बड़े बड़े शहर और देश बन गए
फिर सबने मिलकर नेत्रित्व का मसला उठाया
न चोरी की चर्चा हुई
न भ्रस्टाचार का मसला चाय
जो सर्वश्रेष्ठ आलराउंडर था
उसने अपना दावा मजबूत बनाया
तबसे ये सिलसिला चला आ रहा है
हर चुनाव इसका परिणाम बता रहा है
फिर किसी रोज भीड़ में कोई फुसफुसाया
इस व्यवस्था को गलत बताया
मैंने उसे समझाया
व्यवस्था को गलत बता रहे हो
बबूल पे आम का ख्वाब सजा रहे हो
हम ईमानदार होते तो ईमानदार चुनते
देशभक्त होते तो देशभक्ति पे मरते
नेत्रित्व के लिए तो सर्वश्रेष्ठ के पास जायेंगे
चोरों का नेता चोरों को ही बनायेंगे
क्या शिक्षक पढ़ा रहा है ?
क्या दुधिया दूध में जहर नहीं मिला रहा है ?
क्या हर शख्श उपरी कमाई का स्वप्न नहीं सजा रहा है?
क्या शोधकर्ता शोध के सही परिणाम ला रहा है?
क्या संगीतकार धुन नहीं चुरा रहा है ?
क्या लेखक दूसरों की लेखनी के शब्द नहीं घुमा रहा है?
नकली दबाएँ कौन बना रहा है?
सड़कों का डामर कौन पचा रहा है?
पेड़ किसने काटे, कौन लगा रहा है ?
ऐसे अनगिनत प्रश्नों के जबाब में
हर आदमी उलझ जायेगा
दिल आंसुओ से भर जायेगा
पहले खुद बुरे संस्कार दिल से दिमाग से हटाओ
फिर परिवार को समझाओ
क्रांति की अलख देश में जगाओ
सदियों का मैला तब तक नहीं हटेगा
जब तक हर इंसान नहीं जागेगा
पुलिश और नेता पे तोहमत लगाने से
देश नहीं सुधर जायेगा
ये आसमान से नहीं टपके हैं
ये हमारे तुम्हारे घरो के बच्चे हैं
जब सबने मिलकर भ्रष्टता की कर दी है हद पार
तो सबसे भ्रष्ट ही हो गया है हमारा सरदार
वंशधर परंपरा के चहेतों
अपने दिल दिमाग से विकृतियों को हटाओ
वर्ना पछताओगे
तुम्हारी जिंदगी के दिन तो जैसे तैसे कट जायेंगे
पर तुम्हारे नौनिहाल पैदा होते ही मर जायेंगे !!
डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान,गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801
जैसी चाह, वैसी राह..
ReplyDeletekaphi lambe samay se blog jagat se door raha..aapka nirantar protsahan mujhe milta rahta hai..hardik dhanywad ke sath
Deleteआज के वक्त के मुताबिक लेखनी ...
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है आपने ...
ReplyDeleteबहुत सारे प्रश्नों के उत्तर मांगती हैं यह पोस्ट ऑंखें खोलने में सक्षम आभार ........
ReplyDeletesateek abhivyakti.
ReplyDeleteहम ईमानदार होते तो ईमानदार चुनते
ReplyDeleteदेशभक्त होते तो देशभक्ति पे मरते
नेत्रित्व के लिए तो सर्वश्रेष्ठ के पास जायेंगे
चोरों का नेता चोरों को ही बनायेंगे
आप कटु सत्य को बहुत सुंदरता से उजागर करते हैं.
आने वाले कल के लिए चेताते हुए.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार जी.
समसामयिक सटीक रचना
ReplyDeleteaccording to time whats going on
ReplyDeleteसमसामयिक एवं सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत प्रस्तुति ||
ReplyDeleteबहुत सटीक लिखा है आपने!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
प्रासंगिक/सामयिक...
ReplyDeleteExcellent one....
ReplyDeletebahut hi badhiya rachana. ek katu satya.
ReplyDeleteA sweet poison, thanks sir.
ReplyDeleteतुम्हारी जिंदगी के दिन तो जैसे तैसे कट जायेंगे
ReplyDeleteपर तुम्हारे नौनिहाल पैदा होते ही मर जायेंगे !!
bahut hi teekha prahar .....badhai
bahut satik rachana samadhan ke sath...............पहले खुद बुरे संस्कार दिल से दिमाग से हटाओ...........ek matra samadhan. Thankx
ReplyDelete