पल दो पल आप ठहर जाते तो अच्छा होता
मेरे जज्वात उभर जाते तो अच्छा होता
चाँद सी आप की सूरत , कसम खुदा की है
गेसू चेहरे पर बिखर जाते तो अच्छा होता
तेरे आँखों के समंदर में उतरने की जिद
दो घडी अश्क ठहर जाते तो अच्छा होता
हुश्न तेरा कमाल का, क़माल के जलवे
बस जरा और संवर जाते तो अच्छा होता
अपनी पलकें बिछाये बैठे गली में "आशु"
एक दफा आप गुजर जाते तो अच्छा होता
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश,
मोबाइल नो 9839167801
मेरे जज्वात उभर जाते तो अच्छा होता
चाँद सी आप की सूरत , कसम खुदा की है
गेसू चेहरे पर बिखर जाते तो अच्छा होता
तेरे आँखों के समंदर में उतरने की जिद
दो घडी अश्क ठहर जाते तो अच्छा होता
हुश्न तेरा कमाल का, क़माल के जलवे
बस जरा और संवर जाते तो अच्छा होता
अपनी पलकें बिछाये बैठे गली में "आशु"
एक दफा आप गुजर जाते तो अच्छा होता
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश,
मोबाइल नो 9839167801
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२१२२ ११२२ ११२२ २२/११२ मॉडिफाइड
पल दो पल आप ठहर जाते तो अच्छा होता
आँखों से दिल में उतर जाते तो अच्छा होता
चाँद सी आपकी सूरत का बढाने जलवा
गेसू भी रुख पे बिखर जाते तो अच्छा होता
तेरी आँखों में उतरने की मेरी जिद के लिए
आँखों से दिल में उतर जाते तो अच्छा होता
चाँद सी आपकी सूरत का बढाने जलवा
गेसू भी रुख पे बिखर जाते तो अच्छा होता
तेरी आँखों में उतरने की मेरी जिद के लिए
दो घड़ी अश्क़ ठहर जाते तो अच्छा होता
तेरे आँसू जो ठहर जाते तो अच्छा होता
हुश्न तो आपका माना है क़यामत जैसा
हुश्न तो आपका माना है क़यामत जैसा
थोडा पर और संवर जाते तो अच्छा होता
अपनी पलकों को गली में हैं बिछाये आशू
अपनी पलकों को गली में हैं बिछाये आशू
इक दफा आप गुजर जाते तो अच्छा होता
पल दो पल आप ठहर जाते तो अच्छा होता
मेरी आँखों में उतर जाते तो अच्छा होता
शेर लिखना था मुझे चाँद सी सूरत पे तेरी
रुख पे गर गेसू बिखर जाते तो अच्छा होता
जान लेने के लिए हुश्न हो जिसका काफी
उससे कहते हो संवर जाते तो अच्छा होता
दिल के जो राज झलकते हैं तेरी आखों में
वो लवों पे भी उभर जाते तो अच्छा होता
तेरी आँखों के समंदर से निकल कर आंसू
गर तेरे रुख पे ठहर जाते तो अच्छा होता
राह पे पलकें बिछाई हैं तुम्हारी मैंने
इक दफा तुम जो गुजर जाते तो अच्छा होता
वाह भाई वाह--
ReplyDeleteजरा बात मान जाते तो अच्छा होता |
पल दो पल आप ठहर जाते तो अच्छा होता
ReplyDeleteमेरे जज्वात उभर जाते तो अच्छा होता
बहुत सुंदर रचना,......
काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.
बहुत खूब!!!
ReplyDeleteमक्ता तो लाजवाब..........
सादर.
बहुत खूबसूरत गजल
ReplyDeleteतेरे आँखों के समंदर में उतरने की जिद
ReplyDeleteदो घडी अश्क ठहर जाते तो अच्छा होता kamaal hai
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल. वाह. कभी न ख़त्म होने वाली खाहिश की बानगी तो देखिये ...
ReplyDeleteहुश्न तेरा कमाल का, क़माल के जलवे
बस जरा और संवर जाते तो अच्छा होता..
आप ही ऐसा जादू कर सकते हैं.. बधाई..
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल. वाह. कभी न ख़त्म होने वाली खाहिश की बानगी तो देखिये ...
ReplyDeleteहुश्न तेरा कमाल का, क़माल के जलवे
बस जरा और संवर जाते तो अच्छा होता..
आप ही ऐसा जादू कर सकते हैं.. बधाई..
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteMY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.
काश कितना ही अच्छा होता।
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया....बहुत बेहतरीन प्रस्तुति...!
ReplyDeleteअपनी पलकें बिछाये बैठे गली में ष्आशुष्
ReplyDeleteएक दफा आप गुजर जाते तो अच्छा होता
वाह, क्या बात है !
बहुत सुंदर लिखा है आपने।