Sunday 15 April 2012

(BP 52) बादलों के पार कोई है जो बुलाता है मुझे

बादलों के पार कोई है जो बुलाता है मुझे
बादलों के  पार कोई है जो रुलाता है मुझे


कतरे-कतरे  में लहू के, बसा  है सांसों  में
अपने होने का  अहशास दिलाता है  मुझे


मुझसे मिलता है रोज रोज मेरे ख्वाबों में 
कोई रिश्ता है दरम्याँ, न  भुलाता है मुझे  


कभी तितली, कभी भौरों तो कभी फूलों से
जब कभी भी हुआ तनहा वो हसाता है मुझे 


बन के नरसिंह कभी गोदी में बिठा लेता है
बन के कान्हा कभी-कभी वो सताता है मुझे


'आशु' जग जगता मगर चैन से मैं सोता हूँ
वो छुप हवा में थपकियाँ दे सुलाता है मुझे 






बादलों के पार से कोई बुलाता है मुझे
तीरगी में राह रोशन इक दिखाता है मुझे
कतरे कतरे में लहू में और साँसों में मेरी
भान अपने होने का का हरदम कराता है मुझे
नींद के आगोश में जाते ही आये ख्वाब में
कौन ऐसा जो नहीं इक पल भुलाता है मुझे
तितली भंवरे फूल कलियों से भरा उस का चमन
जब मैं तनहा होता वो इन से हंसाता है मुझे
बन के नरसिंह गोद में अपनी बिठा लेता है मुझे
नन्द लाला बन वही माखन खिलाता है मुझे
जर्रे जर्रे में जूझे महसूस जो हर वक़्त हो
क्यूँ नहीं वो सामने आकर सताता है मुझे

F59






डॉ आशुतोष   मिश्र 
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801     


12 comments:

  1. कोई तो है जो साथ देता है हर पल..

    ReplyDelete
  2. बहुत खूबसूरत भावाव्यक्ति।

    ReplyDelete
  3. वाह...बेहतरीन गजल !!

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  5. बहुत ही उम्दा रचना...

    ReplyDelete
  6. बन के नरसिंह कभी गोदी में बिठा लेता है
    बन के कान्हा कभी-कभी वो सताता है मुझे

    ग़ज़ल का सारा राज़ इस शेर में छिपा हुआ है।
    कितनी ख़ूबसूरती से शेर कहे हैं आपने।

    ReplyDelete
  7. बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन गजल ...आसुतोष जी

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

    ReplyDelete
  8. एहसास हो तो हर जगह वो ही है!
    बेहद सुन्दर!

    ReplyDelete
  9. जब कभी भी हुआ तनहा वो हसाता है मुझे
    BAHUT BADHIYAN SIR JI /

    ReplyDelete

लिखिए अपनी भाषा में