एक दिन जब शाम को थककर घर लौटा
मैंने बड़े प्यार से अपनी बिटिया को बुलाया
उससे एक गिलास पानी मंगवाया
बिटिया ने दी अपने तमाम कामों की दुहाई
दुनिया भर की बातें बताईं
पर पानी नहीं लायी
एक दिन फिर मैंने अपने बेटे को भी आजमाया
उसे भी प्यार से बुलाया
अपने दुखते सर का देकर हवाला
मैंने कह डाला
बेटा जरा सर दबा दो
हो सके तो बाम भी लगा दो
बेटा बहुत झुंझलाया
कई कोने का मुंह बनाया
पर सर नहीं दबाया
यह देखकर फिर कुछ सोचकर
मैंने ठहाका लगाया
फिर मुस्कुराया
यह देखकर मौके पर मौजूद ;
मेरे मित्र सकते में आया
उसने एक सवाल उठाया
गुस्से की बात पर गुस्सा नहीं दिखा रहे हो
मुस्कुराना नहीं था मुस्कुरा रहे हो
इस रहस्य से पर्दा उठाओ
जल्दी से माजरा बताओ
मैंने कहा तो फिर सुनते जाओ
मैं समझता था सिर्फ हम फर्ज निभा रहे हैं
आज खुशी से मेरा दिल भर आया है
जबसे गूढ़ रहस्य समझ आया है
कि बच्चे भी अब अपना फर्ज निभा रहे हैं
हम उन्हें उनके पैरों पे और ..
और वो हमें हमारे पैरों पे
खड़ा होना सिखा रहे हैं!!
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान,गोंडा,उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने !दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteआपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
बहुत ही शानदार रचना है सर , जिंदगी का सच इतने सरल शब्दों में आपसे बेहतर कोई कह ही नहीं सकता. लाजवाब...
ReplyDeleteकि बच्चे भी अब अपना फर्ज निभा रहे हैं
ReplyDeleteहम उन्हें उनके पैरों पे और ..
और वो हमें हमारे पैरों पे
खड़ा होना सिखा रहे हैं!!
बिल्कुल सही ..उम्मीद नहीं करनी चाहिए की बच्चे बुढापे में आपकी सेवा करेंगे
वाह वाह - अति सुंदर - बच्चे भी हमें सिखाते हैं "अपने अंदाज में"
ReplyDeletegazab ki bat kahi hai aur yahi jeevan ka satya hai.
ReplyDeleteवाह मिश्रा जी वाह.
ReplyDelete........हनकदार प्रस्तुति
.......बच्चों की बातों को बड़ा अर्थ दे दिया
aap sabhi ko meri rachna pasand aayi..aapne bahumulya commet diye ..aap sabhi ko hardik dhnyawad
ReplyDeleteमैं समझता था सिर्फ हम फर्ज निभा रहे हैं
ReplyDeleteआज खुशी से मेरा दिल भर आया है
जबसे गूढ़ रहस्य समझ आया है
कि बच्चे भी अब अपना फर्ज निभा रहे हैं
हम उन्हें उनके पैरों पे और ..
और वो हमें हमारे पैरों पे
खड़ा होना सिखा रहे हैं!!....
Beautifully expressed the way of being self dependent .
Awesome creation !
.
बच्चों के व्यवहार से न जाने कितना कुछ सीख रहा हूँ। बड़ी ही सुन्दर कविता।
ReplyDeletenice
ReplyDeletewe are learning day by day
unique interpretation.
ReplyDeleteआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 01-08-2011 को चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर सोमवासरीय चर्चा में भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteमैं समझता था सिर्फ हम फर्ज निभा रहे हैं
ReplyDeleteआज खुशी से मेरा दिल भर आया है
जबसे गूढ़ रहस्य समझ आया है
कि बच्चे भी अब अपना फर्ज निभा रहे हैं
हम उन्हें उनके पैरों पे और ..
और वो हमें हमारे पैरों पे
खड़ा होना सिखा रहे हैं!!... dard ko geet bana liya, jeene ka raasta dhoondh liya , waah
aapne jis blog per comment kiya hai, wah maine imroz ji ki nazmon ka banaya hai...
आज खुशी से मेरा दिल भर आया है
ReplyDeleteजबसे गूढ़ रहस्य समझ आया है
कि बच्चे भी अब अपना फर्ज निभा रहे हैं
हम उन्हें उनके पैरों पे और
और वो हमें हमारे पैरों पे
खड़ा होना सिखा रहे हैं!!
क्या बात कही है...बहुत खूब।
सच है, आजकल ऐसा ही हो रहा है।
हम उन्हें उनके पैरों पे और ..
ReplyDeleteऔर वो हमें हमारे पैरों पे
खड़ा होना सिखा रहे हैं!!
कितनी गहरी बात व्यंग मे कह दी। सही बात है आज के बच्चों से कोई आशा रखना व्यर्थ है। शुभकामनायें।
आज रांची प्रवास के मध्य में हूँ |
ReplyDeleteएक मित्र के घर से
आपका आभार कर रहा हूँ ||
वाह वाह....
ReplyDeleteहम उन्हें उनके पैरो पे
और वो हमें हमारे पैरों पे
खडा होना सिखा रहे हैं...
यथार्थ...
बहुत सही कहा है आपने .......
ReplyDeleteaapne bachcho ke rookhepan me bhi achchyee dekh lee yah aapke dhanatmak soch ko darshata hai.buzurgo ko yadi samman ke saath jrrna hai to yah soch aavashyak hai
ReplyDeletekavita ki antim line ne to sara tathya hi spasht kar diya.aaj ke jamaane me to yahi sachchaai hai.bahut badi baat chipi hai aapki rachna me.pahli baar apke blog par aana hua.aana sarthak hua.aap bhi mere blog par sadar aamantrit hain.follow kar rahi hoon.
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