Wednesday 30 May 2012

(BP 46) नाम दिल पर जो लिखा उसको मिटाकर देखो

एक दिन  अपने पराये को भुलाकर देखो 
एक दिन यूं ही नजर हमसे मिलाकर देखो 


मेरे सीने में जो दिल है, वो धडकता भी है 
आह निकलेगी कोई, इसको जलाकर देखो 


नाम तुमने जो मिटाया,था रेत पर लिक्खा
दिल पर लिक्खा कोई  हर्फ़ मिटाकर देखो 


जुल्फें यूं गुल से संवारी  हैं रोज ही तुमने
मेरी तस्वीर कभी दिल में सजाकर देखो


तेरे रुखसार पर जुल्फें तो बहुत भाती हैं 
तुम मगर रुख से ये जुल्फें हटाकर देखो 


जाम पर जाम पिए होश में मगर हम हैं
हसरत-ए-दिल है आँखों से पिलाकर देखो 
ww


डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य  नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी 
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801


एक दिन  अपने पराये को भुलाकर देखो 



15 comments:

  1. अहा, तरकर उतरता हुआ..

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  2. तस्वीर दिल में ही सजेगी।

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  3. dil me utar gai...
    sui chubho gai .... sunder

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  4. बहुत ही बढ़िया गजल
    बहुत सुन्दर:-)

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  5. वाह! सुंदर गजल...
    सादर बधाई।

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  6. वाह ...बहुत बढिया ..

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  7. बहुत रूचिकर पोस्ट । मेरे नए पोस्ट "बिहार की स्थापना का 100 वां वर्ष" पर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी ।
    धन्यवाद ।

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  8. वाह बहुत सुंदर ।

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  9. नाम तुमने जो मिटाया,था रेत पर लिक्खा
    दिल पर लिक्खा कोई हर्फ़ मिटाकर देखो ...

    Waah .....Excellent creation !

    .

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  10. वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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