मैं भी डरता था तुझे खौफ था ज़माने का A
फिर मेरे शीने पे एक तमगा भी दीवाने का AA
गिरजा जाना तेरा, सर मंदिर में झुकाना मेरा A
फिर मेरे शीने पे एक तमगा भी दीवाने का AA
गिरजा जाना तेरा, सर मंदिर में झुकाना मेरा A
बन गया एक सबब भीड़ में खो जाने का AA
हमको जकड़े हुए जंजीरें रिवाजों की हैं A
सामने मसला है कुछ खोकर के कुछ पाने का AA
आज हर सिम्त सजाई है मैंने अश्कों से A
रास्ता तुमको दिखा देंगे ये मैखाने का AA
प्यार को रूह से महसूस करो यूं ही तुमA
होना था बस यही अंजाम इस फ़साने का
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा. उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० ९८३९१६७८०१
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा. उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० ९८३९१६७८०१
'प्यार को रूह से महसूस करो यूं ही तुम
ReplyDeleteहोना था बस यही अंजाम इस फ़साने का'
क्या बात है?
Kya bat hai. Its really awesome.
ReplyDeleteIts matchless.