Thursday 28 July 2011

DUPLICATE (A1/3) बच्चे भी अब अपना फर्ज निभा रहे हैं

एक दिन जब शाम को थककर घर लौटा
मैंने बड़े प्यार से अपनी बिटिया को बुलाया
उससे एक गिलास पानी मंगवाया
बिटिया ने दी अपने तमाम कामों की दुहाई
दुनिया भर की बातें बताईं
पर पानी नहीं लायी
एक दिन फिर मैंने अपने बेटे को भी  आजमाया
उसे भी प्यार से बुलाया
अपने दुखते सर का देकर हवाला
मैंने कह डाला
बेटा जरा सर दबा दो
हो सके तो बाम भी लगा दो
बेटा बहुत झुंझलाया
कई कोने का मुंह  बनाया
पर सर नहीं दबाया 
यह देखकर फिर कुछ सोचकर
मैंने ठहाका लगाया
फिर मुस्कुराया
यह देखकर मौके पर मौजूद ;
मेरे मित्र सकते में आया
उसने एक सवाल उठाया
गुस्से की बात पर गुस्सा नहीं दिखा रहे हो
मुस्कुराना नहीं था मुस्कुरा रहे हो
इस रहस्य से पर्दा उठाओ
जल्दी से माजरा बताओ
मैंने कहा तो फिर सुनते जाओ
मैं समझता था सिर्फ हम फर्ज निभा रहे हैं 
आज  खुशी से मेरा दिल भर आया है
 जबसे  गूढ़ रहस्य समझ आया है
कि बच्चे भी अब अपना फर्ज निभा रहे हैं
हम उन्हें उनके पैरों पे और ..
और वो हमें हमारे पैरों पे 
खड़ा होना सिखा रहे हैं!!





डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान,गोंडा,उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801   





       
     
  

22 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने !दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ! उम्दा प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  2. अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!

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  3. सुन्दर रचना
    आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
    अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

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  4. बहुत ही शानदार रचना है सर , जिंदगी का सच इतने सरल शब्दों में आपसे बेहतर कोई कह ही नहीं सकता. लाजवाब...

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  5. कि बच्चे भी अब अपना फर्ज निभा रहे हैं
    हम उन्हें उनके पैरों पे और ..
    और वो हमें हमारे पैरों पे
    खड़ा होना सिखा रहे हैं!!

    बिल्कुल सही ..उम्मीद नहीं करनी चाहिए की बच्चे बुढापे में आपकी सेवा करेंगे

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  6. वाह वाह - अति सुंदर - बच्चे भी हमें सिखाते हैं "अपने अंदाज में"

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  7. gazab ki bat kahi hai aur yahi jeevan ka satya hai.

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  8. वाह मिश्रा जी वाह.
    ........हनकदार प्रस्तुति
    .......बच्चों की बातों को बड़ा अर्थ दे दिया

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  9. aap sabhi ko meri rachna pasand aayi..aapne bahumulya commet diye ..aap sabhi ko hardik dhnyawad

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  10. मैं समझता था सिर्फ हम फर्ज निभा रहे हैं
    आज खुशी से मेरा दिल भर आया है
    जबसे गूढ़ रहस्य समझ आया है
    कि बच्चे भी अब अपना फर्ज निभा रहे हैं
    हम उन्हें उनके पैरों पे और ..
    और वो हमें हमारे पैरों पे
    खड़ा होना सिखा रहे हैं!!....

    Beautifully expressed the way of being self dependent .

    Awesome creation !

    .

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  11. बच्चों के व्यवहार से न जाने कितना कुछ सीख रहा हूँ। बड़ी ही सुन्दर कविता।

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  12. nice
    we are learning day by day

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  13. आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 01-08-2011 को चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर सोमवासरीय चर्चा में भी होगी। सूचनार्थ

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  14. मैं समझता था सिर्फ हम फर्ज निभा रहे हैं
    आज खुशी से मेरा दिल भर आया है
    जबसे गूढ़ रहस्य समझ आया है
    कि बच्चे भी अब अपना फर्ज निभा रहे हैं
    हम उन्हें उनके पैरों पे और ..
    और वो हमें हमारे पैरों पे
    खड़ा होना सिखा रहे हैं!!... dard ko geet bana liya, jeene ka raasta dhoondh liya , waah

    aapne jis blog per comment kiya hai, wah maine imroz ji ki nazmon ka banaya hai...

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  15. आज खुशी से मेरा दिल भर आया है
    जबसे गूढ़ रहस्य समझ आया है
    कि बच्चे भी अब अपना फर्ज निभा रहे हैं
    हम उन्हें उनके पैरों पे और
    और वो हमें हमारे पैरों पे
    खड़ा होना सिखा रहे हैं!!

    क्या बात कही है...बहुत खूब।
    सच है, आजकल ऐसा ही हो रहा है।

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  16. हम उन्हें उनके पैरों पे और ..
    और वो हमें हमारे पैरों पे
    खड़ा होना सिखा रहे हैं!!
    कितनी गहरी बात व्यंग मे कह दी। सही बात है आज के बच्चों से कोई आशा रखना व्यर्थ है। शुभकामनायें।

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  17. आज रांची प्रवास के मध्य में हूँ |
    एक मित्र के घर से
    आपका आभार कर रहा हूँ ||

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  18. वाह वाह....
    हम उन्हें उनके पैरो पे
    और वो हमें हमारे पैरों पे
    खडा होना सिखा रहे हैं...

    यथार्थ...

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  19. बहुत सही कहा है आपने .......

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  20. aapne bachcho ke rookhepan me bhi achchyee dekh lee yah aapke dhanatmak soch ko darshata hai.buzurgo ko yadi samman ke saath jrrna hai to yah soch aavashyak hai

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  21. kavita ki antim line ne to sara tathya hi spasht kar diya.aaj ke jamaane me to yahi sachchaai hai.bahut badi baat chipi hai aapki rachna me.pahli baar apke blog par aana hua.aana sarthak hua.aap bhi mere blog par sadar aamantrit hain.follow kar rahi hoon.

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