मेरी आँखों में जब ख्वाब सुनहरा होगा
मुझको मालूम तेरे घर पे भी पहरा होगा
आप शर्मायेंगे छुपकर के कहीं चिलमन में
जब मेरे यार मेरे सर पर भी सेहरा होगा
मेरे शेरों का बजन उस घडी बढेगा खुद
जब मेरे सामने गुल सा तेरा चेहरा होगा
इश्क-ओ -हुश्न जब भी अंधे होंगे उल्फत में
ठीक उस वक़्त जमाना भी ये बहरा होगा
दिल धडकता है तेरा ,राज छुपाकर रखना
वरना ऐ "आशु" जख्म दिल पे भी गहरा होगा
इश्क-ओ -हुश्न जब भी अंधे होंगे उल्फत में
ठीक उस वक़्त जमाना भी ये बहरा होगा
दिल धडकता है तेरा राज न खुल जाये कभी
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801
मुझको मालूम तेरे घर पे भी पहरा होगा
आप शर्मायेंगे छुपकर के कहीं चिलमन में
जब मेरे यार मेरे सर पर भी सेहरा होगा
मेरे शेरों का बजन उस घडी बढेगा खुद
जब मेरे सामने गुल सा तेरा चेहरा होगा
इश्क-ओ -हुश्न जब भी अंधे होंगे उल्फत में
ठीक उस वक़्त जमाना भी ये बहरा होगा
दिल धडकता है तेरा ,राज छुपाकर रखना
वरना ऐ "आशु" जख्म दिल पे भी गहरा होगा
A2/9
२१२२ ११२२ ११२२ २२ मॉडिफाइड
जब मेरी आँखों में इक ख्वाब सुनहरा होगा
तब तेरे घर पे भी मालूम है पहरा होगा
आप शर्मायेंगे छुपकर के कहीं चिलमन में
जिस घड़ी सर पे बंधा मेरे भी सहरा होगा
शायरी में भी मेरी जान तभी आयेगी
तब तेरे घर पे भी मालूम है पहरा होगा
आप शर्मायेंगे छुपकर के कहीं चिलमन में
जिस घड़ी सर पे बंधा मेरे भी सहरा होगा
शायरी में भी मेरी जान तभी आयेगी
जब मेरे सामने गुल सा तेरा चेहरा होता
इश्क-ओ -हुश्न जब भी अंधे होंगे उल्फत में
ठीक उस वक़्त जमाना भी ये बहरा होगा
दिल धडकता है तेरा राज न खुल जाये कभी
दिल पे गर जख्म हुआ जख्म ये गहरा होगा
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801
A2/8
२१२२ ११२२ ११२२ २२ मॉडिफाइड
जब मेरी आँखों में इक ख्वाब सुनहरा होगा
तब तेरे घर पे भी मालूम है पहरा होगा
आप शर्मायेंगे छुपकर के कहीं चिलमन में
जिस घड़ी सर पे बंधा मेरे भी सहरा होगा
शायरी में भी मेरी जान तभी आयेगी
जब मेरे सामने गुल सा तेरा चेहरा होगा
इश्क़ ओ हुश्न जो अंधे हुये हैं उल्फत में
बेखबर थे की जमाना भी ये बहरा होगा
ये न सोचा था जमाना भी ये बहरा होगा
इश्क-ओ -हुश्न जब भी अंधे होंगे उल्फत में
ठीक उस वक़्त जमाना भी ये बहरा होगा
दिल धडकता है तेरा राज न खुल जाये कभी
दिल पे गर जख्म हुआ जख्म ये गहरा होगा
रहिमन निज मन की व्यथा...
ReplyDeletebehtarin
Deleteआप की इस ग़ज़ल में विचार, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।
ReplyDeleteaap badon ka asirwad aaur margdarshan eun hee milta rahega to main bhee hausle he sath nirantar nikhar laane kee koshis karta rahunga..sadar pranam ke sath
ReplyDeleteखूबसूरत गजल
ReplyDeleteबहुत सुंदर गजल,......
ReplyDeleteMY RESENT POST... फुहार....: रिश्वत लिए वगैर....
आप की उत्कृष्ट गजल पर ताजी ताजी यह कुंडली बनी है--
ReplyDeleteलूटें सपने की ख़ुशी, ऐसे माहिर लोग ।
जैसे कुछ जाने नहीं, करते जाहिर लोग ।
करते जाहिर लोग, खबर रखते हैं सारी ।
लगे प्रेम का भोग, मगर हरदम दुश्वारी ।
दिल की दिल में गोय, रखे रविकर फिर अपने ।
तुम पर न एतबार, बिखर न जाएँ सपने ।
aapke ashirwad se lavrej yah shandaar kundli..sadaar pranaam ke sath
Deleteमेरी आँखों में जब ख्वाब सुनहरा होगा
ReplyDeleteमुझको मालूम तेरे घर पे भी पहरा होगा
आप शर्मायेंगे छुपकर के कहीं चिलमन में
जब मेरे यार मेरे सर पर भी सेहरा होगा
मेरे शेरों का बजन उस घडी बढेगा खुद
जब मेरे सामने गुल सा तेरा चेहरा होगा
खूब....बहुत ही उम्दा ग़ज़ल ....
इश्क-ओ -हुश्न जब भी अंधे होंगे उल्फत में
ReplyDeleteठीक उस वक़्त जमाना भी ये बहरा होगा
shandar.... bahut hi badhiya... kafi samay baad saundarya ras pe likha aapne.. waaah.
thanks harish
Deleteमेरी आँखों में जब ख्वाब सुनहरा होगा
ReplyDeleteमुझको मालूम तेरे घर पे भी पहरा होगा
आप शर्मायेंगे छुपकर के कहीं चिलमन में
जब मेरे यार मेरे सर पर भी सेहरा होगा
मेरे शेरों का बजन उस घडी बढेगा खुद
जब मेरे सामने गुल सा तेरा चेहरा होगा
वाह ..बहुत खूब ।
दिल धडकता है तेरा ,राज छुपाकर रखना
ReplyDeleteवरना ऐ "आशु" जख्म दिल पे भी गहरा होगा
अच्छा बिम्ब है भाव जगत का .
बेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
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