Friday 27 March 2020

❤️Tr KS6/45 ks 6001collection(OB 124) बोतल में जब तलक थी मै महफ़िल सजी रही



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 जब तक भरे थे जाम तो महफ़िल सजी रही
फूलों में रस था भँवरों की चाहत बनी रही

वो सूखा फूल फेंकते तो कैसे फेंकते
उसमे किसी की याद की खुशबू बसी रही

उस कोयले की खान में कपड़ें न बच सके
बस था सुकून इतना ही इज्जत बची रही

कुर्सी पे बैठ अम्न की करता था बात जो
उसकी हथेली खून से यारों सनी रही

दौलत बटोर जितनी भी लेकिन ये याद रख
ये बेबफा न साथ किसी के कभी रही

'आशू' फ़कीर बन तू फकीरीं में है मजा
सब छूटा कुछ बचा तो वो नेकी बदी रही

डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी बभनान गोंडा उत्तरप्रदेश 271313
9839167801
www.ashutoshmishrasagar.blogspot.in

1 comment:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 28 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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