Saturday 28 April 2012

(BP 50) वाह क्या सौगात दी है

वाह क्या सौगात दी है
मांगते हरदम रहे हो
प्यार भी, सद्भाव भी
पूरा समर्पण भी,
हम बहाते रहे अपना  खून अब तक
शान पर,झूठी, तुम्हारी आन पर....
पलकें अपनी मूँद के चलते रहे
लगी कितनी ठोकरें
गिरते रहे..
दिया तुमने क्या हमें
सोचा कभी?
रोटियों को हम तरसते,
अश्क आँखों से बरसते
पाँव कीचड में सने हैं
टूटा दिल हैं अनमने हैं
झोपड़े; अपने महल थे
जैसे थे; अच्छे भले थे
क्या हुआ, तुमको खले क्यों  
मंजिलों  पे मंजिलें ,तुमने खड़ी की
झोपड़ों पे पाँव  रखकर
क्या हुआ? ए  कार वालों
क्यूँ दिया उसको  कुचल
कर झोपड़ों से बेदखल
क्या बिगाड़ा  था , भला मासूम ने
लूट ली इज्जत भरे बाज़ार में....
आसुओं  का बाँध
नफरत, द्वेष, दरिया दर्द का
ये ढेर लाशों के 
वाह! क्या सौगात दी हैं




कॉलेज जीवन की एक कृति


डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान,गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801



A1/35
वाह क्या सौगात दी है
मांगते हरदम रहे हो
प्यार भीसद्भाव भी
पूरा समर्पण भी,हम बहाते रहे अपना  खून अब तक
शान पर,झूठीतुम्हारी आन पर....पलकें अपनी मूँद के चलते रहे
लगी कितनी ठोकरें

गिरते रहे..दिया तुमने क्या हमें
सोचा कभी?रोटियों को हम तरसते,अश्क आँखों से बरसते
पाँव कीचड में सने हैं
टूटा दिल हैं अनमने हैं
झोपड़ेअपने महल थे
जैसे थेअच्छे भले थे
क्या हुआतुमको खले क्यों मंजिलों  पे मंजिलें ,तुमने खड़ी की
झोपड़ों पे पाँव  रखकर
क्या हुआ  कार वालों
क्यूँ दिया उसको  कुचल
किया  झोपड़ों से बेदखल
क्या बिगाड़ा  था , भला मासूम ने
लूट ली इज्जत भरे बाज़ार में....आसुओं  का बाँध
नफरतद्वेषदरिया दर्द का
ये ढेर लाशों के
वाहक्या सौगात दी हैं


















Wednesday 18 April 2012

(BP 51) जिस घडी उससे जुदा होने की घडी आयी

जिस घडी उससे जुदा  होने  की घडी  आयी
दरिया- अश्कों का बहा, याद भी बड़ी आयी 

सीढ़ियों पे ही मुझे रोका था  कुछ कहने को 
होंठ हिल पाए ना थे  अश्कों की झड़ी आयी 

आँखों- आँखों में  आँखों ने सगाई  कर ली 
दर-ए -दिल पाती जाने कबसे है पड़ी आयी 

दो बदन, एक जिस्म- एक जां, ना हो पाए 
दरम्याँ धर्म-ओ-रिवाजों की हथकड़ी आयी 

हमने सोचा था की अरमानो के बम फूटेंगे 
हाय री किस्मत , मेरे हाथों  ये लड़ी आयी 

आशु तनहा ही मैकदे में मय कशी करते 
जिंदगी में है उनके जबसे  फुलझड़ी आयी 


डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज  ऑफ़ फार्मेसी
बभनान , गोंडा, उत्तरप्रदेश 
मोबाइल न० 9839167801

A2/13
2122 1122 1212  22,,112
 जिस घडी उससे जुदा  होने  की घडी  आयी
दरिया- अश्कों का बहायाद भी बड़ी आयी  
सीढ़ियों पे ही मुझे रोका इक दफा उसने 
होंठ हिल पाए ना थे  अश्कों की झड़ी आयी  
आँखों आँखों में ही आँखों ने की सगाई जब
आँखों- आँखों में ही  आँखों ने सगाई  कर ली 
दर-ए -दिल पाती जाने कबसे है पड़ी आयी
दो बदन चाह के भी एक जां न हो पाये
दो बदनएक जिस्म- एक जांना हो पाए 
दरम्याँ धर्म-ओ-रिवाजों की हथकड़ी आयी 
हमने सोचा था की अरमा के ही  बम फूटेंगे 
हाय किस्मत मेरी हाथों  में ये लड़ी आयी  
आशु तनहा ही करें मयकशी यूं सारी शब्
लगता जीवन में कोई उसके फुलझडी आयी 
आशू  तनहा ही मैकदे में मय कशी करते 
जिंदगी में है उनके जबसे  फुलझड़ी आयी 



Sunday 15 April 2012

(BP 52) बादलों के पार कोई है जो बुलाता है मुझे

बादलों के पार कोई है जो बुलाता है मुझे
बादलों के  पार कोई है जो रुलाता है मुझे


कतरे-कतरे  में लहू के, बसा  है सांसों  में
अपने होने का  अहशास दिलाता है  मुझे


मुझसे मिलता है रोज रोज मेरे ख्वाबों में 
कोई रिश्ता है दरम्याँ, न  भुलाता है मुझे  


कभी तितली, कभी भौरों तो कभी फूलों से
जब कभी भी हुआ तनहा वो हसाता है मुझे 


बन के नरसिंह कभी गोदी में बिठा लेता है
बन के कान्हा कभी-कभी वो सताता है मुझे


'आशु' जग जगता मगर चैन से मैं सोता हूँ
वो छुप हवा में थपकियाँ दे सुलाता है मुझे 






बादलों के पार से कोई बुलाता है मुझे
तीरगी में राह रोशन इक दिखाता है मुझे
कतरे कतरे में लहू में और साँसों में मेरी
भान अपने होने का का हरदम कराता है मुझे
नींद के आगोश में जाते ही आये ख्वाब में
कौन ऐसा जो नहीं इक पल भुलाता है मुझे
तितली भंवरे फूल कलियों से भरा उस का चमन
जब मैं तनहा होता वो इन से हंसाता है मुझे
बन के नरसिंह गोद में अपनी बिठा लेता है मुझे
नन्द लाला बन वही माखन खिलाता है मुझे
जर्रे जर्रे में जूझे महसूस जो हर वक़्त हो
क्यूँ नहीं वो सामने आकर सताता है मुझे

F59






डॉ आशुतोष   मिश्र 
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801     


Friday 13 April 2012

(BP 53) समस्या का समाधान



एक दिन,
एक अदद बच्चों के ,
एक मात्र एकलौते पिता ने
एक गंभीर मसले की
गुत्थी सुलझाने के लिए 
मुझे घर पर बुलाया
घर पहुँचते ही 
नमस्ते के स्वरों से मेरा अभिबादन जताया
सोफा मेरी  तरफ खिसकाया
और फरमाया
मिश्र जी बैठ जाइए 
हमारी समस्या का समाधान बताईये
भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है
चिंता का तूफ़ान खा रहा है 
सभी लाडले फेल पर फेल हो रहे हैं
अंग्रेजी , बिज्ञान, भूगोल में रो रहे हैं
इनके लिए
इनके भविष्य के  लिए 
कोई रास्ता सुझाईये
नाम शोहरत  , दौलत से भरपूर हो
कोई तरकीब लगाईये
मैंने गंभीर होकर पूंछा
क्या आपके बच्चे 
कम समय में ही
सब कुछ पाना चाहते हैं
नाम बनाना चाहते हैं?
जबाब में सुनकर हां
मैं बोला 
आप कल ही बाज़ार जाईये
कपड़ों का थान ले आईये
झंडे बनबायिये
हर गली हर नुक्कड़ पर 
अपने लाल दुलारों से फहरबायिये
अंग्रेजी, हिंदी की मिली जुली
संकर नस्ल का मोडर्न भाषण दिलवाईये 
आप सुखद परिणाम पाएंगे
चाँद बरसों में ही
पूरी की पूरी संसद में
आपके लाडले नजर आयेंगे

A2/34
एक दिन,
एक अदद बच्चों के ,
एक मात्र एकलौते पिता ने
एक गंभीर मसले की
गुत्थी सुलझाने के लिए 
मुझे घर पर बुलाया
घर पहुँचते ही 
नमस्ते के स्वरों से मेरा अभिबादन जताया
सोफा मेरी  तरफ खिसकाया
और फरमाया
मिश्र जी बैठ जाइए 
हमारी समस्या का समाधान बताईये
भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है
चिंता का तूफ़ान खा रहा है 
सभी लाडले फेल पर फेल हो रहे हैं
अंग्रेगीबिज्ञानभूगोल में रो रहे हैं
इनके लिए
इनके भविष्य के  लिए 
कोई रास्ता सुझाईये
नाम शोहरत  , दौलत से भरपूर हो
कोई तरकीब लगाईये
मैंने गंभीर होकर पूंछा
क्या आपके बच्चे 
कम समय में ही
सब कुछ पाना चाहते हैं
नाम बनाना चाहते हैं?
जबाब में सुनकर हां
मैं बोला 
आप कल ही बाज़ार जाईये
कपड़ों का थान ले आईये
झंडे बनबायिये
हर गली हर नुक्कड़ पर 
अपने लाल दुलारों से फहरबायिये
अंग्रेजीहिंदी की मिली जुली
संकर नस्ल का मोडर्न भाषण दिलवाईये 
आप सुखद परिणाम पाएंगे
चाँद बरसों में ही
पूरी की पूरी संसद में
आपके लाडले नजर आयेंगे





कॉलेज जीवन की एक रचना 


डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल  न० 9839167801

Friday 6 April 2012

(BP 54) चांदनी शब् गुजार दी यूं ही जलकर हमने

हमको दुनिया में ग़मों की ही सौगात मिली
ख्वाइश-ए-गुल थी, खारों की बरसात मिली


चांदनी शब् गुजार दी यूं  ही जलकर हमने
अब्र में चाँद छुपा , तारों की बारात मिली


अपने घर से  मैं बड़ी दूर निकल आया जब
उनके अश्कों से सजी हमको कायनात मिली


एक तमाशा है अभी भी ये सजा-ए- उल्फत
क़त्ल जिसका हुआ उसको ही हवालात मिली


"आशु" दिलदार तेरा यार ,तब यकीन हुआ 
जिक्र आते तेरा जब गुहरों की खैरात मिली  








डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान,गोंडा, उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801





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